नई दिल्ली: मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) ने एक बार फिर दुनिया भर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। लैंसेट की एक ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2022 के प्रकोप के विपरीत 2024 का प्रकोप व्यापक रूप से जनसांख्यिकी को प्रभावित कर रहा है।
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि इस प्रकोप के केंद्र में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य है। अब अफ्रीका से बाहर वायरस के प्रसार ने अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ा दी है, विशेष रूप से "एक नए समूह, 1 बी के उद्भव" के साथ। इसमें कहा गया है, "सीमित वैक्सीन आपूर्ति, अपर्याप्त परीक्षण और कई सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों के प्रति प्रतिक्रियाओं को संतुलित करने की आवश्यकता के बीच स्वास्थ्य अधिकारी वायरस को रोकने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।"
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 14 अगस्त को एमपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का विषय बताते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया। अफ्रीका सीडीसी के महानिदेशक जीन कासिया ने भी इसे कॉन्टिनेंटल सिक्योरिटी (पीएचईसीएस) का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया। रिपोर्ट के अनुसार, "एमपॉक्स का क्लेड 1 बी अपनी उच्च संक्रामकता और अधिक गंभीर परिणामों की संभावना के कारण विशेष रूप से चिंता का विषय है।"
अफ्रीका सीडीसी द्वारा जारी एक महामारी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष की शुरुआत से 12 अफ्रीकी देशों में 18,737 एमपॉक्स मामले (3,101 पुष्ट और 15.636 संदिग्ध) सामने आए हैं। इसके परिणामस्वरूप 541 मौतें हुई हैं। वर्ष 2023 में अफ्रीका के सात देशों में 14,838 एमपॉक्स मामले (1,665 पुष्ट और 13,173 संदिग्ध) दर्ज किए। इसमें 738 लोगों की मौतें हुईं।
2022 के एमपॉक्स प्रकोप के विपरीत, 2024 का प्रकोप व्यापक रूप से जनसांख्यिकीय को प्रभावित कर रहा है। मुख्य रूप से सीधे संपर्क के माध्यम से फैलने वाला यह वायरस पुरुषों, महिलाओं और बच्चों में पाया गया है।
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में सभी 26 प्रांतों में एमपॉक्स के मामले सामने आए हैं। अफ्रीका सीडीसी में आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया प्रभाग के कार्यवाहक प्रमुख मेरावी अरागाव टेगेग्ने ने कहा कि "एमपॉक्स हमारे क्षेत्र में स्थानीय है।"
हालांकि, परीक्षण और निगरानी की भारी कमी से बीमारी की गंभीरता की पूरी तस्वीर सामने नहीं आ रही है। डब्ल्यूएचओ की आईएचआर समिति के अध्यक्ष डिमी ओगोइना ने विशेष रूप से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में बीमारी की जांच पर प्रकाश डाला। यहां 30 प्रतिशत से भी कम मामलों का परीक्षण किया जा रहा है।
वर्तमान में भारत में एमपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है, और सरकार स्थिति की निगरानी कर रही है। गौरतलब है कि एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द के साथ-साथ त्वचा पर दर्दनाक फोड़े का कारण बनती है।