कर्नाटक के मंत्री ने कहा, सरकारी अस्पतालों में जन औषधि केंद्र खोलने की इजाजत नहीं
बेंगलुरु: कर्नाटक के चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. शरण प्रकाश पाटिल ने सरकारी अस्पतालों में जन औषधि केंद्र खोलने के खिलाफ एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकारी अस्पतालों में जन औषधि केंद्र स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मंत्री का कहना है कि यह निर्णय सरकार की नीति के अनुरूप है, जो गरीब मरीजों को अस्पतालों में मुफ्त दवाएं प्रदान करने पर केंद्रित है। इसके तहत, अस्पतालों के भीतर औषधि केंद्रों की स्थापना गरीबों को मुफ्त दवाओं की उपलब्धता में विघ्न डाल सकती है, इसलिए यह कदम उठाया गया है।
भाजपा ने इस फैसले को गरीब विरोधी बताते हुए आलोचना की है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता एस. प्रकाश ने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री शरण प्रकाश पाटिल गरीब लोगों की समस्या को नहीं समझ रहे हैं। लोगों को हर दवा मुफ्त मिल रही है, ऐसा कहना बहुत सरल है, लेकिन जमीनी हकीकत को देखें तो यह संभव नहीं है। जबकि जनऔषधि केंद्र ब्रांडेड दवाओं को नहीं बेचते। वे सिर्फ जेनरिक दवाओं को बेचते हैं जो बाजार में सबसे सस्ती दवाओं से भी 60 से 70 फीसदी सस्ती होती हैं।"
डॉ. शरण प्रकाश पाटिल ने भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उनकी सरकार गरीबों के हित में काम कर रही है और मुफ्त दवाओं की नीति को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा को यह समझने की जरूरत है कि उनकी सरकार हर व्यक्ति को मुफ्त दवाएं प्रदान करती है और यह निर्णय उसी नीति का हिस्सा है। मंत्री ने भाजपा की आलोचनाओं को नकारते हुए कहा कि भाजपा हर चीज में खरीद-फरोख्त के आरोप लगाती है और उन्हें यह नहीं पता कि सरकार गरीबों को निःशुल्क दवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि जन औषधि केंद्रों को अस्पतालों के बाहर स्थापित किया जाएगा, जिससे अस्पतालों में मुफ्त दवाओं की उपलब्धता पर असर न पड़े। इस फैसले का उद्देश्य गरीबों को दवाओं की सुलभता सुनिश्चित करना है, और मंत्री ने भाजपा के आरोपों को सरकार की नीतियों के प्रति गलतफहमी बताया।