सतना: प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अंतर्गत आम लोगों को कोई दिक्कत न हो, इसलिए देश के हर जिले में इसके केंद्र खोले गए हैं। मध्य प्रदेश के सतना जिले में जिला अस्पताल परिसर में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र को खुले दो महीने भी नहीं हुए हैं। इस दौरान अब तक तकरीबन 60 हजार मरीज यहां से सस्ती दवाएं खरीदकर योजना का लाभ उठा चुके हैं।
बताया जा रहा है कि सतना जिला अस्पताल में रोजाना दो हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचते है। इनमें से बहुत से मरीज पीएम जन औषधि केंद्र से दवाएं लेते हैं। इससे न सिर्फ उनकी बचत होती है, बल्कि अस्पताल परिसर में इसका केंद्र होने से समय भी बचता है।
सतना के जिला अस्पताल परिसर में कई लोगों ने आईएएनएस से बात करते हुए इस परियोजना से हुए लाभ के बारे में बताया।
पीएम जन औषधि केंद्र से दवा लेने वाले घनश्याम सोनी बताते हैं, “मैं जेनेरिक दवाओं के महत्व और उनकी उपयोगिता के बारे में आपके सामने कुछ महत्वपूर्ण बातें रखना चाहता हूं। पिछले तीन-चार साल से, जब से मुझे पीएम जन औषधि केंद्रों के बारे में जानकारी मिली है, मैं अपने परिवारजनों और मित्रों को भी जेनरिक दवाइयां लेने की सलाह देता हूं। कई दवाइयां ऐसी होती हैं, जो ब्रांडेड होने के कारण 100 रुपये की होती हैं, जबकि वही दवा जेनेरिक रूप में 10 से 20 रुपये में मिल जाती हैं।"
उन्होंने कहा कि इन दवाइयों की गुणवत्ता में कोई फर्क नहीं है। मैं स्वयं अपनी बीपी की दवाई लेता हूं। दवा का एक पैक 78 रुपये का है। वहीं, जेनेरिक दवा केवल 13 रुपये में मिलती है। उन्होंने कहा, "हाल ही में हमारे एक मरीज को किडनी की बीमारी के लिए एक दवा की जरूरत थी। यह दवाई हमें 300 रुपये में मिल रही थी, लेकिन वही दवा हमें 80 रुपये में मिल गई। फॉर्मूला वही था, और दोनों दवाइयों में कोई अंतर नहीं था।”
उन्होंने आगे कहा, "प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना ने जेनेरिक दवाइयों के उपयोग को बढ़ावा दिया है। इसमें एक फायदा यह है कि ब्रांडेड दवाइयों की कीमत ज्यादा होती हैं, लेकिन जेनेरिक दवाइयों की कीमत बहुत कम होती है, जबकि उनका फॉर्मूला भी समान होता है। दूसरी बात यह है कि कई बार ग्राहक को सस्ती दवाइयों का पूरा लाभ नहीं मिल पाता, क्योंकि उन्हें सही जानकारी नहीं होती। ब्रांडेड दवाइयों पर दाम ज्यादा प्रिंट होता है और ग्राहक जेनेरिक दवाइयों को लेकर संशय में रहते हैं। जनता को इसका पूरा फायदा मिल सके, इसके लिए जेनेरिक दवाइयों को और अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।”
एक अन्य उपभोक्ता धर्मेंद्र पाल बताते हैं, "अगर यह दवा बाजार में लेने जाते, तो कीमत दोगुनी होती, लेकिन यहां तो हमें सिर्फ 12 रुपये में मिल रही है। यह सच में बहुत फायदेमंद है, और हमें पूरा लाभ मिल रहा है। अब अगर कोई पूछे तो हम इसे खुशी-खुशी बताएंगे। पहले भी हमने सोचा था कि सस्ती दवाइयां मिलेंगी तो लोग फिर आएंगे, और अब जब सस्ती और अच्छी दवाइयां मिल रही हैं, तो लोग और भी आएंगे। पेट दर्द की दवाइयां, जो बाजार में 200 रुपये तक मिलती हैं, यहां 30-40 रुपये में मिल रही हैं। इसका मतलब यह है कि यहां लोग बहुत ही कम कीमत में दवाइयां प्राप्त कर पा रहे हैं, जो उनके लिए बहुत फायदेमंद है।”
जन औषधि केंद्र चलाने वाले संजय शुक्ला बताते हैं, "अस्पताल की ओपीडी में करीब 1,000 से 1,500 मरीज आते हैं। शुरू में सरकार की तरफ से मुफ्त दवाइयां दी जा रही थीं। उसके बाद, एक और सिस्टम अपनाया गया है, जिसमें कम कीमत पर दवाइयां उपलब्ध हैं। इस समय हम हर दिन 100 से 150 मरीज हमारे केंद्र से दवा ले रहे हैं। जैसे-जैसे लोगों को इसके बारे में जानकारी मिल रही है, बाहर के मरीज भी हमारे यहां से दवा ले रहे हैं। यह लोगों के लिए एक बड़ा लाभ है।”
उन्होंने आगे कहा, “इस समय केंद्र में लगभग 9,000 दवाइयां शामिल हैं और धीरे-धीरे उनकी वेरायटी बढ़ती जा रही है, जिससे ग्राहक को और ज्यादा फायदा मिल रहा है। यहां किसी भी दवा पर डिस्काउंट की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सरकार पहले ही दवाइयों की एमआरपी इतना कम निर्धारित कर चुकी है कि हमें ग्राहक से किसी भी तरह के विवाद की आवश्यकता नहीं होती। जो दवा की कीमत निर्धारित है, हम उसी कीमत पर ग्राहक को दे देते हैं।”