जल जीवन मिशन : यूपी के सोलर पावर मॉडल को अपनाएंगे अन्य राज्य

Update: 2024-11-21 02:55 GMT
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य की उन्नति की कहानी से पूरा देश रूबरू होगा। केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित की जा रही रीजनल कॉन्फ्रेंस ऑन गुड गवर्नेंस में यूपी में 'जल जीवन मिशन' की परियोजनाओं में सोलर पावर के इस्तेमाल का डंका बजेगा।
कॉन्फ्रेंस में देशभर से आए आईएएस अफसर जानेंगे कि किस तरह से उत्तर प्रदेश 'जल जीवन मिशन' की परियोजनाओं में सोलर पावर का इस्तेमाल कर परियोजना की लागत को कम कर रहा है। साथ ही साथ कॉर्बन उत्सर्जन कम करके पर्यावरण को भी सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
21 नवंबर से शुरू होने वाली दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में इनोवेशन स्टेट के तौर पर पहले सत्र में नमामि गंगे विभाग के अपर मुख्य सचिव जल जीवन मिशन में सोलर पावर के इस्तेमाल पर व्याख्यान देंगे। इसमें दूसरे राज्यों के अफसरों को बताया जाएगा कि किस तरह से यूपी जैसे बड़े राज्य में 'जल जीवन मिशन' को सफलता से लागू किया गया और परियोजनाएं लंबे समय तक कम कीमत पर चल सकें, इसके लिए सोलर पावर का इस्तेमाल किया गया।
भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा गुड गवर्नेंस के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की इस योजना को चुना गया है। ये कॉन्फ्रेंस देशभर के टॉप आईएएस अफसरों के लिए आयोजित की जाती है, जिसमें देशभर में चलाई जाने वाली योजनाओं में हुए उत्कृष्ट कार्यों को शामिल किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में 'जल जीवन मिशन' की 80 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं सोलर पावर पर आधारित हैं। जल जीवन मिशन परियोजना में इतने बड़े पैमाने पर सोलर पावर का इस्तेमाल करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है। भारत सरकार की तरफ से आयोजित की जा रही इस कॉन्फ्रेंस का मकसद है कि देश के दूसरे राज्य भी इसी तरह का मॉडल अपनाएं। जिससे बिजली की बचत हो सके और परियोजनाएं लंबे समय तक चल सकें।
उत्तर प्रदेश में 'जल जीवन मिशन' के अंतर्गत कुल 41,539 परियोजनाएं हैं, जिसमें से 33,157 'जल जीवन मिशन' के प्रोजेक्ट्स में सोलर एनर्जी का उपयोग किया जा रहा है, जिससे रोजाना 900 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है। ऐसा करने वाला उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है।
सोलर तकनीक के इस्तेमाल से गांवों में की जाने वाली जलापूर्ति की लागत में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। साथ ही पानी की सप्लाई के लिए इलेक्ट्रिसिटी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। लो मेंटेनेंस के साथ-साथ इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की आयु 30 साल होती है। 30 साल के दौरान इन परियोजनाओं का संचालन सौर ऊर्जा के जरिए होने से करीब 1 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। इससे करीब 13 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन प्रतिवर्ष कम होगा।
'जल जीवन मिशन' में सोलर आधारित पंपों को चलाने के लिए ग्रामीण इलाकों में 12.50 लाख लोगों को ट्रेनिंग दी गई है। ट्रेनिंग पाने वाले ग्रामीण ही इन परियोजनाओं का संचालन और सुरक्षा करेंगे।
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