इंटरपोल: जब दुनिया ने अपराध से लड़ने के लिए बढ़ाया था हाथ

Update: 2024-09-07 04:31 GMT
नई दिल्ली: साल 1914 में जब दुनिया उथल-पुथल में थी, तब मोनाको की धरती पर एक अलग ही कहानी लिखी जा रही थी। 24 देशों के वकील और पुलिस अधिकारी एक ही मकसद से जुड़े थे कि एक ऐसी दुनिया का निर्माण हो जहां अपराध के आगे सीमाएं मजबूर न हों।
यहां इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस कांग्रेस में एक ऐसे विचार पर चर्चा की गई जो बाद में एक अहम संस्था का रूप लेने वाला था। इस विचार को मूर्त रूप देने से पहले दुनिया को प्रथम विश्व युद्ध से गुजरना पड़ा। 1923 में यूरोप के देश ऑस्ट्रिया के विएना (वियना) में दूसरी इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस कांग्रेस बुलाई गई। इस बार 20 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
आखिरकार, 7 सितंबर 1923 को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस आयोग (आईसीपीसी) की स्थापना का निर्णय लिया गया। आईसीपीसी का मुख्य उद्देश्य अलग-अलग देशों की पुलिस के बीच आपसी सहयोग बढ़ाना था। यह साल 1956 की बात है जब आईसीपीसी ने एक नया संविधान अपनाया और इसका नाम बदलकर अंतरराष्ट्रीय अपराध पुलिस संगठन (आईसीपीओ-इंटरपोल) कर दिया गया। तब से हम इसे इंटरपोल के तौर पर जानते हैं।
इंटरपोल एक ऐसा संगठन है जो दुनियाभर के पुलिस बलों को जोड़ता है, भले ही उन देशों के बीच कोई राजनयिक संबंध न हों। इसका मुख्य लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले अपराधों से लड़ना, इसके लिए ये दुनियाभर की पुलिस को जानकारी, संसाधन और रणनीतियां साझा करने में सक्षम बनाता है।
हालांकि, इंटरपोल के पास किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है। इसका मुख्य काम जानकारी का आदान-प्रदान और अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इसके लिए, इंटरपोल अलग-अलग रंगों के 'नोटिस' जारी करता है। यह इंटरपोल के कलर-कोडित नोटिस देशों को सीमाओं के पार अलर्ट और जानकारी के अनुरोध साझा करने में मदद करते हैं।
वे सदस्य देशों में पुलिस को अपराधों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हैं। रेड नोटिस में किसी व्यक्ति को ढूंढने और अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने का अनुरोध होता है, ताकि उसे दूसरे देश को सौंपा जा सके। येलो नोटिस गुमशुदा लोगों खासकर नाबालिगों को ढूंढने में मदद करता है। ब्लू नोटिस किसी व्यक्ति की पहचान, स्थान या गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त जानकारी इकट्ठा करने के लिए जारी किया जाता है, जो किसी अपराध से जुड़ी हो सकती है।
इसका एक उदाहरण पूर्व प्रधानमंत्री और जेडी(एस) सुप्रीमो देवगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना का मामला है, जिनके खिलाफ एक ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। यौन उत्पीड़न के आरोपों के बीच रेवन्ना के जर्मनी में होने का विश्वास था। ऐसे ही ब्लैक, ग्रीन, ऑरेंज और पर्पल नोटिस होते हैं।
आज इंटरपोल भ्रष्टाचार, जाली मुद्रा और दस्तावेज, बच्चों के विरुद्ध अपराध, सांस्कृतिक विरासत अपराध, साइबर अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी, पर्यावरण अपराध, वित्तीय अपराध, मानव तस्करी और प्रवासी तस्करी, अवैध सामान, समुद्री अपराध, संगठित अपराध, आतंकवाद, वाहन अपराध, युद्ध अपराध आदि जैसे अपराधों के खिलाफ काम करता है।
कई बार हॉलीवुड की फिल्म में इंटरपोल के किसी एजेंट को जेम्स बॉन्ड सरीखी लाइफस्टाइल जीते दिखाया जाता है। लेकिन वास्तविक जीवन में इंटरपोल के एजेंट न तो हथियार रखते हैं और न ही यह संस्था कोई अनिवार्य अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकती है। आज इंटरपोल के पास 196 सदस्य देश हैं, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन बनाते हैं। भारत 1956 से इसका एक सदस्य है।
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