अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी हमारे पौधरोपण कार्यक्रम को सराहा: सीएम योगी
लखनऊ: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को राजधानी लखनऊ के लोकभवन सभागार में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती प्रक्रिया के अंतर्गत 647 वन रक्षकों, वन्यजीव रक्षकों एवं 41 अवर अभियंताओं को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम को संबोधित किया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि नवनियुक्त 'वन' और 'वन्य जीव' रक्षक यदि ईमानदारी से कार्य करेंगे तो जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव कम करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। देश-दुनिया की चिंता का सबसे बड़ा विषय जलवायु परिवर्तन है। अनियंत्रित और अनियोजित विकास मानवता के सामने संकट खड़ा कर चुका है। असमय बारिश, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, एक ही समय पर कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ दिख रहा है। ये सब नुकसानदायक हैं। आज हम सब जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के भुक्तभोगी हैं।
उन्होंने कहा कि साढ़े सात वर्ष में सरकार ने कुछ कार्यक्रम आगे बढ़ाए। जलवायु परिवर्तन के सामने सबसे बड़ा चैलेंज घटते जंगलों, वनाच्छादन, अनियंत्रित, अनियोजित विकास, प्लास्टिक का बेतरतीब उपयोग है। ऐसी वस्तुओं का उपयोग पर्यावरण के लिए घातक हो सकता है। इन पर लगाम लगाने के बावजूद किसी ना किसी स्तर पर दुरुपयोग होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में किसी भी सीजन में जंगलों के बीच से धुआं उठता है। जंगल जलेंगे तो पर्यावरण को नुकसान और भूस्खलन होगा। असमय जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों का सामना ना केवल वन्यजीवों, बल्कि मानवों को भी करना पड़ेगा। वन के दायरे कम होने के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष की नौबत आती है।
सीएम ने कहा कि साढ़े सात वर्ष पहले हमने तय किया कि वनाच्छादन बढ़ाना है। इसके लिए प्रतिवर्ष बड़े पैमाने पर पौधरोपण करते हैं। 210 करोड़ वृक्षारोपण का कार्यक्रम भी पूरा किया। 2028-29 तक 15 फीसदी वनाच्छादन का लक्ष्य है। हम पौधरोपण करते हैं, लेकिन इसे बचाने की जिम्मेदारी जनसहभागिता से होती है। साढ़े सात वर्ष में इसके अच्छे परिणाम आए हैं। अनेक अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इसकी सराहना की है। किसानों को जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रशिक्षण के बाद 647 वन्य रक्षकों पर बड़ी जिम्मेदारी आने वाली है।
सीएम योगी ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जनसहभागिता के साथ जुड़ते हुए बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकता है। जल की बेहतरीन स्रोत अधिकांश नदियों का अस्तित्व खतरे में दिखाई देता था। पीएम मोदी ने सबसे पवित्र गंगा नदी को अविरल और निर्मल बनाने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम का शुभारंभ किया था। जनसहभागिता के साथ इस कार्यक्रम को बढ़ाना है। हर वर्ष देखने को मिलता है कि वन्यजीव हिंसक हो रहे हैं। वन्यजीव और मानव संघर्ष के कारण जनहानि हो रही है। यह जनहानि परिवार और समाज की हानि है। वन-वन्यजीव रक्षकों को स्वयं प्रशिक्षित होने के साथ स्थानीय नागरिकों को गाइड के रूप में प्रशिक्षित करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तराई के जिन जनपदों में यह घटनाएं हुई हैं, यह वे क्षेत्र हैं, जहां जंगल और खेती एक-दूसरे से सटे दिखाई देते हैं। जंगल के अंदर पानी भरा तो जानवर खेत की तरफ आते हैं। कोई व्यक्ति अचानक खेत में गया तो जंगली जानवर हिंसक हो जाते हैं। बॉर्डर वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक और सोलर फेंसिंग कर लें। प्राथमिकता के आधार पर सोलर फेंसिंग करें। जब इलेक्ट्रिक शॉट लगेगा तो जानवर पीछे की तरफ भागेगा और श्रमिक, किसान सुरक्षित रहेंगे। इससे जनहानि को रोक सकें और ग्रामीणों को संघर्ष के आक्रोश से बचा सकें। अपनी रक्षा के लिए जब कोई उपाय नहीं होता, तब जानवर हिंसक होता है।
सीएम ने कहा कि जीवन चक्र मनुष्य के साथ-साथ जीव-जंतुओं से भी मिलकर बना है। इसके बगैर प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा संभव नहीं है। हर जीव एक-दूसरे पर आश्रित हैं। अवैध कटान, खनन को रोकने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश पहला राज्य है, जिसने मानव वन्य जीव संघर्ष को आपदा श्रेणी में शामिल करते हुए जनहानि पर पांच लाख रुपये की व्यवस्था की है। सर्पदंश से भी मौत पर धनराशि मृतक आश्रितों को उपलब्ध कराई जाती है। एंटी स्नेक वेनम हर जिला चिकित्सालय और सीएचसी में रखने की व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि पौधरोपण केवल कार्यक्रम नहीं, बल्कि जीवन रक्षा का बेहतरीन उपाय है। एनसीआर में नवंबर से फरवरी तक स्मॉग के कारण हमेशा सुप्रीम कोर्ट की फटकार सुननी पड़ती है। दिल्ली में दमघोंटू वातावरण हो जाता है। सांस के रोगी घर से नहीं निकलते। एनजीटी और न्यायालय गंभीरता से मुद्दों को लेती है। बड़े पैमाने पर वहां पर्यावरण को क्षति पहुंची है। वनाच्छादन कम और नदियां प्रदूषित हुई हैं। धान की कटाई होती है तो पराली में आग लगा दी जाती है। आज बायो कंप्रेस्ड यूनिट लग रही है। इससे किसान धान के साथ ही पराली का अतिरिक्त दाम भी प्राप्त कर सकता है।