द्रास और कारगिल जिले के फॉरवर्ड एरिया में तैनात भारतीय सेना के जवानों ने मनाया पोंगल, लगाए भारत माता की जयकारे
लद्दाख के द्रास और कारगिल जिले के फॉरवर्ड एरिया में तैनात भारतीय सेना के जवानों ने पोंगल (Pongal) के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं.
Pongal Festival Celebration: लद्दाख के द्रास और कारगिल जिले के फॉरवर्ड एरिया में तैनात भारतीय सेना के जवानों ने पोंगल के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं. इस दौरान जवानों ने भारत माता की जय के नारे लगाए. पोंगल त्योहार का एक खास महत्व है. ये प्रसिद्ध त्योहार दक्षिण भारत में हर साल मनाया जाता है. उत्साह से भरा ये त्योहार 14 जनवरी यानी कि मकर संक्रांति से शुरू होता है जो 4 दिन तक चलता है और फिर 17 जनवरी को इस पर्व का समापन होता है. मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति और लोहड़ी पर्व की तरह ही पोंगल पर्व को भी फसल के पक जाने और नई फसल के आने की खुशी में मनाया जाता है.
चार दिन तक मनाया जाता है पोंगल
माना जाता है कि पोंगल त्योहार के ठीक पहले जो भी अमावस्या होती है उस पर सभी लोग बुराई को त्याग कर अच्छाई को अपनाने की प्रतिज्ञा करते हैं, जिसे 'पोही' भी कहा जाता है. पोही का अर्थ होता है कि 'जाने वाली' इसके अलावा तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ उफान होता है. पोंगल को चार दिन तक मनाया जाता है. सभी तरह के कचड़े आदि को जला दिया जाता है. त्योहार पर अच्छे अच्छे पकवान बनाए जाते हैं. पर्व के पहले दिन कूड़ा-कचरा जलाया जाता है, दूसरे दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जबकि तीसरे दिन खेती को करने वाले मवेशियों की पूजा की जाती है और फिर चौथे दिन काली जी की पूजा की जाती है.
त्योहार पर घरों में खास रूप से सफाई की जाती है और रंगोली बनाई जाती है. इस त्योहार पर नए कपड़े और बर्तन खरीदने का भी महत्व होता है. पोंगल में गाय के दूध में उफान को भी महत्वपूर्ण बताया गया है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को फसल कटाई के विभिन्न त्योहारों के मौके पर देशवासियों को बधाई दी और सभी की अच्छी सेहत के साथ जीवन में सुख और समृद्धि की भी कामना की. देश में शुक्रवार को मकर संक्रांति, पोंगल, माघ बीहू, भोगी और उत्तरायण का त्योहार मनाया जा रहा है.