वक्फ बिल पर पसमांदा समाज की सहमति पर भड़के आईएमसीआर चेयरमैन, पसमांदा समाज की पहचान पर भी जताई आपत्ति
नई दिल्ली: वक्फ संशोधन बिल पर पसमांदा समाज की ओर से सहमति जताने पर इंडियन मुस्लिम्स फॉर सिविल राइट्स (आईएमसीआर) के चेयरमैन मोहम्मद अदीब ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने पसमांदा समाज की सहमति पर सवाल उठाए और पसमांदा समाज की पहचान पर भी आपत्ति जताई।
आईएमसीआर चेयरमैन मोहम्मद अदीब ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा कि पसमांदा समाज है क्या। क्या वे वास्तव में मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग हैं या किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा?" उन्होंने कहा कि भारत में जो लोग मांस का कारोबार करते हैं, वे किसी से कम अमीर नहीं हैं। "इस देश में केवल दो प्रकार के मुसलमान हैं: एक रईस और एक गरीब। पसमांदा का लफ्ज़ इस्लाम में कहीं नहीं है।
पसमांदा समाज के सदस्यों की जानकारी पर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग यह बताने में असमर्थ हैं कि वे किस बुनियाद पर इस बिल को अप्रूव कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि उन्हें केवल रटा-रटाया भेजा गया है। यह सभी एक साजिश का हिस्सा है, जो मुस्लिम समाज में विभाजन का प्रयास है। भारत में 70-75 वर्षों में कोई विभाजन नहीं हुआ है, और पसमांदा कौन हैं, यह कोई नहीं जानता। "यह सब एक बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा हैं, जिसका मकसद मुस्लिम समुदाय को बांटना है।
आपको बताते चलें, गुरुवार को मुस्लिम समाज की तरफ से वक्फ विधेयक पर अपना पक्ष रखने के लिए आए पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रतिनिधियों ने जेपीसी की बैठक में सरकार के बिल का पुरजोर शब्दों में समर्थन किया। उन्होंने इस बिल को 85 प्रतिशत मुसलमानों के लिए फायदेमंद करार देते हुए मुस्लिम समाज के दलितों और आदिवासियों को भी इसमें जगह देने की मांग की। बैठक में जब पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रतिनिधि बिल पर अपनी बात रख रहे थे, तो विपक्ष के कई सांसद उन्हें रोक रहे थे।