केजरीवाल बेकसूर होते तो सुप्रीम कोर्ट शर्तों के साथ बेल क्यों देती : रमेश बिधूड़ी

Update: 2024-09-23 02:56 GMT
नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल ने रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर में जनता की अदालत लगाकर भाजपा पर सवाल उठाए। भाजपा के पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी ने आईएएनएस बात करते हुए इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा अगर केजरीवाल बेकसूर होते तो सुप्रीम कोर्ट शर्तों के साथ बेल क्यों देती?
भाजपा के पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी ने केजरीवाल के आरएसएस और भाजपा पर उठाए सवालों को लेकर कहा कि अरविंद केजरीवाल कंडीशनल बेल पर बाहर आए हैं। अगर वो बेकसूर रहते तो सुप्रीम कोर्ट उनको कई शर्तों के साथ बेल क्यों देती? वो किसी सरकारी फाइल पर काम नहीं कर सकते, कार्यालय नहीं जा सकते, सचिवालय नहीं जा सकते और एमएलए से नहीं मिल सकते। इसका मतलब है कि कोर्ट ने माना है कि केजरीवाल रिश्वतखोर हैं।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि भाजपा में 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट का नियम है तो प्रधानमंत्री मोदी रिटायर होंगे या नहीं? इस पर रमेश बिधूड़ी ने कहा, पीएम मोदी ने कोई 75 साल की रिटायरमेंट उम्र नहीं रखी है। केजरीवाल को ये पता लग गया है कि देश के अंदर वो जो झूठ बोलकर आए थे, उसका लिफाफा मोदी ही फाड़ेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10 साल के कार्यकाल में एक पैसे का आरोप नहीं लगा है और इन भ्रष्टाचारी के ऊपर कई आरोप लग गए। यही कारण है कि उसके पेट में मोदी जी के लिए दर्ज रहता है।
दरअसल, इससे पहले दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रविवार को जंतर मंतर में 'जनता की अदालत' नाम से कार्यक्रम किया। इस कार्यक्रम का आयोजन आम आदमी पार्टी ने किया, जिसमें दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी व अन्य मंत्री भी यहां मौजूद रहे। इस दौरान केजरीवाल ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा।
बता दें कि जेल से रिहा होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी हैं। आम आदमी पार्टी का कहना है कि मुख्यमंत्री रहने के दौरान अरविंद केजरीवाल को केंद्र सरकार ने जेल में डाल दिया। दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन समेत अन्य कई नेताओं को जेल में डाला गया। बावजूद इस सबके दिल्ली में लोगों के लिए होने वाला काम नहीं रुका। आम आदमी पार्टी द्वारा अब रविवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर 'जनता की अदालत' लगाई गई।
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