रांची: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार राज्य के वार्षिक बजट से इतर चुनावी वर्ष में शुरू की गई 'मंईयां सम्मान योजना' सहित अन्य 'लोकलुभावन योजनाओं' को जारी रखने के लिए अतिरिक्त रकम जुटाने के रास्ते तलाश रही है। इसके लिए 9 से 12 दिसंबर तक आयोजित होने वाले विधानसभा के पहले विशेष सत्र में अनुपूरक बजट लाने की तैयारी की जा रही है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसे लेकर सोमवार को रांची में प्रोजेक्ट बिल्डिंग स्थित झारखंड मंत्रालय में विभिन्न विभागों के उच्च पदाधिकारियों और सचिवों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट से इतर सरकार ने जितनी भी योजनाएं शुरू की हैं, उन्हें ठोस तौर पर धरातल पर उतारने के लिए राजस्व के सभी स्रोतों की समीक्षा करनी होगी। राजस्व वसूली के लिए जो भी लक्ष्य पूर्वनिर्धारित हैं, उन पर भी पुनर्विचार किया जा सकता है।
उन्होंने नई योजनाओं के आकार के आधार पर उन पर खर्च होने वाली राशि का आकलन करने और अनुपूरक बजट में उसके लिए आवश्यक प्रावधान करने का निर्देश दिया। सीएम ने खनन क्षेत्र में लागू पुराने करों में वृद्धि एवं न्यायिक मामलों में लंबित वसूली में तेजी लाने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि कैबिनेट की पहली बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार वित्त विभाग तत्काल विशेष कोषांग गठित करे और इस दिशा में त्वरित कदम उठाए। सीएम ने केंद्र के पास कोयला रॉयल्टी और जमीन मुआवजा मद में झारखंड के 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया का भुगतान प्राप्त करने के लिए कानूनी उपायों पर आगे बढ़ने का भी निर्देश अफसरों को दिया। सीएम सोरेन ने इस मुद्दे पर जुलाई महीने में आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी हवाला दिया।
25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने खदानों और खनिज भूमि पर रॉयल्टी और कर वसूली से जुड़े मामले में फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि खनिजों पर कर लगाने का अधिकार राज्यों के पास है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि खनिज संपन्न राज्य खनिजों और खनिज युक्त भूमि पर केंद्र सरकार से 12 साल में किस्तों में रॉयल्टी और कर वसूल सकती है।
अफसरों के साथ बैठक के बाद सीएम सोरेन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हम उन सभी उपायों पर विचार कर रहे हैं, जिससे विकास की गति को तेज किया जा सके। हमने अधिकारियों को समय का सदुपयोग करने और ज्यादा से ज्यादा काम को धरातल पर उतारने का लक्ष्य दिया है।"