नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर नामांकन की आखिरी तारीख गुरुवार को समाप्त हो गई है। राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मिशन में जुटी भाजपा की टेंशन इस बार बागियों ने कुछ बढ़ा दी है। पार्टी ने कुछ सीटों पर तो डैमेज कंट्रोल कर लिया। लेकिन, कई सीटों पर दिग्गज नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरकर भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है।
भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर हिसार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल कर दिया है। पार्टी के दिग्गज नेता, प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके रामबिलास शर्मा ने तो बुधवार को पार्टी की तीसरी और आखिरी लिस्ट आने से पहले ही जाकर नामांकन कर दिया था। उनके नामांकन करने और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह द्वारा सार्वजनिक तौर पर उनकी पैरवी करने के बावजूद पार्टी ने अपनी आखिरी लिस्ट में भी उनकी उम्मीदवारी का ऐलान नहीं किया।
एक जमाने में हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर के करीबी राजीव जैन ने भी पत्नी कविता जैन का टिकट काटे जाने से नाराज होकर सोनीपत से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। पार्टी के कई दिग्गजों ने जहां टिकट कटने से नाराज होकर निर्दलीय ताल ठोक दी है, तो वहीं कई नेताओं ने दूसरी पार्टियों से भी नामांकन कर दिया है।
फरीदाबाद से भाजपा के पूर्व विधायक नागेंद्र भड़ाना ने आईएनएलडी-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया है। वहीं, टिकट नहीं मिलने से नाराज नवीन गोयल ने गुरुग्राम और हिमांशु गर्ग ने पानीपत से निर्दलीय नामांकन कर दिया है। भाजपा चूंकि 10 वर्षों से हरियाणा की सत्ता में रही है और केंद्र में भी इसी की सरकार है, इसलिए पार्टी का टिकट चाहने वालों की संख्या हर सीट पर बहुत ज्यादा थी।
पार्टी को यह फीडबैक भी मिला है कि कई सीटों पर टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं ने बगावत तो नहीं की है, लेकिन वे चुनाव प्रचार अभियान से अलग होकर घर बैठ गए हैं। पार्टी को दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर बगावत या नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।
बागी नेताओं से सिर्फ भाजपा ही परेशान नहीं है, बल्कि कांग्रेस को भी बगावत का सामना करना पड़ रहा है। उम्मीदवारी का पर्चा भरने की आखिरी तारीख खत्म हो जाने के बाद अब भाजपा नए सिरे से एक बार फिर से बागियों को मनाने की कोशिश करने जा रही है। हरियाणा में नाम वापसी की आखिरी तारीख 16 सितंबर है और भाजपा के वरिष्ठ नेता बागियों से संपर्क कर उन्हें मनाने और नाम वापसी के लिए तैयार करने की पूरी कोशिश करेंगे।
भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने बागी नेताओं को मनाने के लिए जिला और राज्य स्तर पर कुछ वरिष्ठ, अनुभवी और पुराने कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। नेताओं की यह टोली बागियों को मनाने का प्रयास करेगी। बागियों को मनाने के लिए जहां जरूरत पड़ेगी, वहां संघ के नेताओं और कार्यकर्ताओं की भी मदद ली जाएगी।
इस पूरे अभियान की निगरानी दिल्ली से पार्टी आलाकमान भी करेगा और अगर किसी बागी नेता से बात करने की आवश्यकता हुई तो राष्ट्रीय नेतृत्व यानी पार्टी आलाकमान उनसे बात कर भविष्य के लिए आश्वासन देने के लिए तैयार रहेगा। भाजपा इसी तरह के फॉर्मूले का सफल प्रयोग गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में कर चुकी है।