जीबी सिंड्रोम नया वायरस नहीं, पुणे में मरीज बढ़ने की वजह अलग: महाराष्ट्र स्वास्थ्य मंत्री

Update: 2025-01-29 03:18 GMT
मुंबई: महाराष्ट्र में मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इस बैठक में जीबी सिंड्रोम को लेकर काफी गंभीरता से चर्चा हुई है। इसके बाद महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए राज्य में जीबी सिंड्रोम की स्थिति को लेकर बताया।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जीबी सिंड्रोम के बारे में लोगों के मन में जो संदेह है, कैबिनेट में उसके बारे में चर्चा हुई है। हमारे स्वास्थ्य सचिव ने कैबिनेट को इसके बारे में जानकारी दी है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जीबी सिंड्रोम नया वायरस नहीं है। जीबी सिंड्रोम के मरीज इससे पहले भी महाराष्ट्र और देश में मिल चुके हैं। रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होने के कारण जीबी सिंड्रोम के मरीजों की संख्या बढ़ती है। महाराष्ट्र के कई इलाकों में इसके मरीज मिले थे। सरकार की तरफ से उन मरीजों को 2020 में 2 लाख रुपये तक कि आर्थिक सहायता दी गई थी। वो लोग पूरी तरह ठीक हो गए थे।
उन्होंने बताया कि जिस किसी की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर होती है उसे जीबी सिंड्रोम होने का खतरा होता है। जिनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर है उन्हें एहतियात बरतनी चाहिए। 15 साल तक के बच्चों और बुजुर्गों को भी सावधानी बरतनी चाहिए।
बचाव का तरीका क्या है? राज्य सरकार किस तरीके से लोगों से अपील कर रही है कि खुद को सुरक्षित कैसे रखा जाए। इस पर उन्होंने कहा कि पुणे में जो मरीज बढ़े हैं उसकी वजह अलग है। जो 110 मरीज मिले हैं, उनमे से 80 मरीज ऐसे हैं जिन्होंने एक ही इलाके में एक ही कुएं से पानी पिया था। पुणे नगर निगम से हमने बात की है। नगर निगम के माध्यम से सुधार किया जाएगा और मरीज कम हो जाएंगे।
कई मरीज वेंटिलेटर पर हैं। कितने लोगों की मौत हुई है। इस सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एक मरीज की मौत हुई है। यह मरीज उसी इलाके में था जहां 80 मरीज हैं। मृतक का यात्रा का इतिहास था। उन्होंने लोगों से नहीं डरने की अपील की है। उनका कहना है कि बहुत से मरीज इस बीमारी से ठीक होकर गए हैं। इसका इलाज है।
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