नई दिल्ली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से भारतीय बाजार में बीते 12 महीने (अगस्त 2023 से अगस्त 2024 अब तक) 64,824 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। डिपॉजिटरीज डेटा के अनुसार, एफपीआई ने बीते एक साल में 1,82,965 करोड़ रुपये की खरीदारी की और वहीं, 1,18,141 करोड़ रुपये की बिकवाली की है।
नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के डेटा के मुताबिक, अब तक अगस्त में एफपीआई का रुख बिकवाली का रहा है। विदेशी निवेशकों ने इक्विटी से 14 अगस्त तक 18,824 करोड़ रुपये निकाले हैं। हालांकि, इस दौरान डेट मार्केट में 8,624 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
विदेशी निवेशकों की ओर से अन्य बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार में निवेश के कई कारण हैं। जानकारों का कहना है कि अच्छी विकास दर, स्थिर सरकार, महंगाई में कमी आना, सरकार द्वारा वित्तीय अनुशासन रखना और भारत को कैपिटल मार्केट का हब बनाने की कोशिश करना शेयर बाजार में विदेशी निवेश बढ़ने की प्रमुख वजहें हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी। वित्त वर्ष 2024-25 में इसके 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। भारत में महंगाई दर में भी लगातार कमी आ रही है। जुलाई में खुदरा महंगाई दर 3.54 प्रतिशत रही, जो कि जून में 5.08 प्रतिशत थी।
मोजोपीएमएस के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर, सुनील दमानिया का कहना है कि एफपीआई निवेश बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। पहला, सरकार ने आश्वासन दिया है कि इस कार्यकाल में भी सुधारों को जारी रखा जाएगा। दूसरा, चीन की अर्थव्यवस्था का गिरना, जिसका अंदाजा आप कॉपर की कीमतों से लगा सकते हैं, जो कि पिछले महीने 12 प्रतिशत कम हुई। तीसरा, एफपीआई की ओर से कुछ ब्लॉक डील भी की गई हैं।