मंडी: प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती में स्वरोजगार और किसानों की आय को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है। प्राकृतिक खेती से उगाई मक्की पर समर्थन मूल्य घोषित होने का लाभ प्रदेश के साथ-साथ मंडी जिला के किसानों को भी मिला है।
वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा इस वर्ष के बजट में 680 करोड़ रुपए की राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना घोषित की गई है। इस योजना से जुड़े किसान गेंहू और मक्का में रासायनिक खाद के बजाय गोबर का इस्तेमाल करेंगे। इन परिवारों का अधिकतम 20 क्विंटल तक अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद किया जाएगा।
इसके तहत बेरोजगार युवाओं को प्राकृतिक खेती के माध्यम से स्वरोजगार और कृषि से जोड़ने का उद्देश्य है। इसके तहत प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्का 30 रुपए प्रति किलो और गेहूं 40 रुपए प्रति किलो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का प्रावधान किया है। प्रदेश ने किसानों ने प्रोत्साहन मिलने पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। ऐसे ही मंडी के समीप बीर गांव के बलवीर सिंह लगभग छह सालों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इस बार उनकी अच्छी पैदावार हुई है और उनकी पैदावार को खरीद केंद्रों के जरिए उचित दाम भी मिले हैं।
गोहर क्षेत्र के कटवांडी गांव की भूपेंद्रा बताती हैं कि प्राकृतिक खेती से उनकी फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है। पिछली बार उन्हें मक्के के कम दाम मिले हैं, जबकि इस बार प्रदेश सरकार ने 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मक्की की खरीद की है। वहीं, कटवांडी गांव की ही नेहा कुमारी वर्ष 2018 से प्राकृतिक खेती कर रही हैं। उन्होंने बताया कि इसमें कृषि विभाग का सहयोग उन्हें लगातार मिलता रहा है। इस बार प्राकृतिक खेती विधि से उगाई गई मक्की के लिए खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं।
आत्मा परियोजना मंडी के परियोजना निदेशक राकेश कुमार ने बताया, “मंडी जिला में प्राकृतिक खेती विधि से उगाई गई मक्की की खरीद के लिए स्थापित चार में से तीन खरीद केंद्रों सुंदरनगर, मंडी व चैलचौक के माध्यम से पहले चरण में लगभग 142 क्विंटल मक्की की खरीद की जा चुकी है। दूसरे चरण में 18 नवंबर से आरम्भ होगा, जिसमें इन तीनों केंद्रों सहित चुराग में भी खरीद केंद्र के माध्यम से मक्की प्रापण का कार्य शुरू किया जाएगा। दूसरे चरण में 500 क्विंटल से अधिक मक्की खरीद का लक्ष्य रखा गया है।”