झारखंड में भाजपा चुनाव भले हारी, वोट प्रतिशत में सबसे आगे है : लक्ष्मीकांत वाजपेयी
रांची: झारखंड प्रदेश भाजपा के प्रभारी और राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने रविवार को पार्टी की समीक्षा बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि हम विधानसभा चुनाव भले हारे हैं, लेकिन हमारी पार्टी को मिले वोटों की संख्या बढ़ी है। वोट प्रतिशत में हम प्रदेश में सबसे आगे हैं। इससे यह साबित होता है कि जनता में भाजपा की स्वीकार्यता बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि चुनाव परिणामों की समीक्षा के लिए दो दिनों तक आयोजित बैठकों में जो निष्कर्ष निकला है, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा। पराजय से सीख लेकर पार्टी ने एक मजबूत संगठन बनाने का संकल्प लिया है। हम अंगद की तरह पैर जमाकर सामाजिक जीवन में अपने दायित्वों का निर्वहन करने काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य में सदस्यता अभियान शुरू हो रहा है। सांसद पुंडेश्वरी सदस्यता अभियान की देखरेख करने के लिए नियुक्त हुई हैं। फरवरी तक नए प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन हो जाएगा। जनादेश के अनुसार, हमारी पार्टी राज्य में सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी। सरकार अच्छा काम करती है तो ठीक है। जन विरोधी काम करने पर भाजपा सड़क पर भी जाने में कोई संकोच नहीं करेगी।
भाजपा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र राय ने कहा पार्टी ने दो दिनों तक पांच सत्रों में बैठक की। इस दौरान चुनाव के संचालन से लेकर उसके प्रबंधन और परिणाम तक की विस्तृत चर्चा की गई। राजनीति में चुनाव महत्वपूर्ण पहलू है। इसके परिणाम को भले सफलता और असफलता के पैमाने पर देखा जाता है। लेकिन, भाजपा इसे थोड़ी और गहराई में जाकर इस रूप में लेती है कि हमें समाज ने किस रूप में जिम्मेदारी दी है और किस रूप में कितना स्वीकार किया है।
उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता में भारतीय जनता पार्टी की विश्वसनीयता में कोई कमी नहीं आई है। पहले की तुलना में पार्टी को 9 लाख अधिक वोट मिले हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जातीय दुर्भावना, सांप्रदायिक दुर्भावना भड़काने की कोशिश की। इसकी वजह से धुव्रीकरण हुआ और अंकगणित में हम पिछड़ गए। इस परिणाम की बिना परवाह किए झारखंड की जनता के हित में आगे अपना काम करती रहेगी। विपक्ष की भूमिका निभाएगी और सरकार के कार्यों का बहुत ही गंभीरता से निरीक्षण करेगी।
उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान संचालन, प्रबंधन और उम्मीदवारों के जनसंपर्क अभियान में कोई कमी नहीं हुई। मुद्दों को जनता तक ले जाने में थोड़ी कमी रह गई, जिसके कारण विरोधी सफल रहे।