रक्षा उत्पादन विभाग को स्वच्छता अभियान से मिला 12.36 करोड़ रुपए का राजस्व

Update: 2024-11-07 02:46 GMT
नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले रक्षा उत्पादन विभाग ने करीब 1,500 स्थलों पर स्वच्छता अभियान चलाया और सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस स्वच्छता अभियान के फलस्वरुप स्क्रैप से 12.36 करोड़ रुपये का राजस्व मिला तो 8 लाख वर्ग फुट जगह भी खाली हो गई। यह स्वच्छता अभियान रक्षा उत्पादन विभाग और उसके डिफेंस पीएसयू एवं संबद्ध कार्यालयों में चलाया गया।
यहां विशेष मिशन 4.0 के तहत 1,500 स्थलों पर स्वच्छता अभियान का कार्यान्वयन सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक अभियान के मुख्य फोकस क्षेत्रों में पीएमओ, एमपी, वीआईपी और राज्य सरकार आदि से संबंधित सार्वजनिक शिकायतों और रेफरल का प्रभावी निपटान शामिल है। इस अभियान ने कार्यस्थलों पर स्वच्छता की भूमिका और प्रभावशीलता को समझने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया है। संगठनों को अपने परिसरों को स्वच्छ और हरा-भरा रखने के लिए एक स्थायी तकनीक विकसित करने में मदद की गई है।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि डिफेंस पीएसयू और संबद्ध कार्यालयों ने स्वच्छता में कई सर्वोत्तम प्रथाएं शुरू की हैं, जिन्हें इन संगठनों ने कार्यस्थल और उसके आसपास के वातावरण को बेहतर बनाने के लिए अपनाया है। अभियान के अंत में, रक्षा उत्पादन विभाग ने 26,000 फाइलों, 25,000 फाइलों व अभिलेखों की समीक्षा और छंटाई सहित कई उपलब्धियां हासिल की। साथ ही, 2,675 मीट्रिक टन स्क्रैप व अनुपयोगी वस्तुओं के निपटान से 8 लाख वर्ग फुट जगह हो गई।
स्क्रैप के निपटान से 12.36 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न हुआ। 184 लोक शिकायतें एवं 123 लोक शिकायत अपीलों का निस्तारण किया गया। इस राष्ट्रव्यापी प्रयास के हिस्से के रूप में, स्वच्छता कर्मचारियों की सुरक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने पर भी विशेष ध्यान दिया गया। उनकी सुरक्षा के महत्व पर जोर देने और उनके लिए एक सुरक्षित कार्य वातावरण को बढ़ावा देने में बड़े समुदाय को शामिल करने के लिए वॉकथॉन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इस पहल ने स्वच्छता कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और स्वास्थ्य जांच शिविरों के माध्यम से स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दोहराई। इस अभियान के दौरान, प्रतिभागियों को अपने दैनिक जीवन में स्वच्छता बनाए रखने के महत्व के बारे में शिक्षित किया गया। घर और काम पर स्वच्छता प्रथाओं में चुनौतियों और संभावित सुधारों पर खुलकर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
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