जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भारतीय खाद्य निगम के चेयरमैन और प्रबंधक निदेशक अशोक के मीना ने गुरुवार को कहा कि खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के चलते गेहूं के थोक मूल्य में कमी आई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस योजना का गेहूं के खुदरा मूल्य पर आने वाले हफ्तों में असर दिखाई देगा।
थोक खरीदारों को गेहूं की बिक्री
गेहूं और आटे के बढ़ते मूल्य पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ओएमएसएस के जरिये आटा मिलों जैसे थोक खरीदारों को गेहूं की बिक्री कर रही है। एफसीआइ की ओर से आयोजित ई-नीलामी के जरिये अब तक 18.05 लाख टन गेहूं की बिक्री की जा चुकी है, जिसमें से खरीदारों को 11 लाख टन गेहूं दिया जा चुका है। योजना के तहत एफसीआइ को कुल 45 लाख टन गेहूं बेचना है। मीना ने कहा कि मिल रही है। ओएमएसएस योजना को अच्छी प्रतिक्रिया
गेहूं के थोक मूल्य पर इसका प्रभाव पहले ही दिखने लगा है। खुदरा मूल्य पर इसका प्रभाव दिखने में समय लगेगा। अशोक के मीना ने उम्मीद जताई कि इसी सप्ताह से खुदरा मूल्य में कमी दिखने लगेगी। मीना ने कहा कि अब अधिकांश मंडियों में गेहूं का थोक मूल्य घटकर 2,200-2,300 रुपये प्रति क्विटंल पर आ गया है।
ओएमएसएस के तहत दक्षिणी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के थोक खरीदारों ने बड़ी मात्रा में गेहूं की खरीद की है। उन्होंने भरोसा जताया कि इस योजना से पूरे देश में गेहूं का मूल्य सामान्य करने में मदद मिलेगी।
सामान्य रहेगी गेहूं की सरकारी खरीद
मीना ने कहा कि चालू रबी सीजन में गेहूं की फसल अच्छी हैं और विपणन वर्ष 2023-24 में सरकारी खरीद 300-400 लाख टन के सामान्य स्तर पर रहेगी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार अधिक रकबे में गेहूं की बोआई हुई है और मौजूदा हालात गेहूं की फसल के लिए अच्छे हैं। पिछले वर्ष घरेलू उत्पादन घटने और ज्यादा निर्यात के कारण गेहूं की सरकारी खरीद में कमी रही थी।
एक सवाल के जवाब में मीना ने कहा कि बढ़ते तापमान का गेहूं की फसल पर कोई असर पड़ने की उम्मीद नहीं है और छोटी अवधि में तापमान बढ़ने से फसल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार ने फसल वर्ष 2023-24 में 11.21 करोड़ टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान जताया है।