रांची: झारखंड दौरे पर पहुंचे असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि वो यहां किसी को जानते नहीं हैं। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान कई लोगों से मिलना होगा। कई जगहों पर जाना होगा, कई कार्यक्रमों में शामिल होना होगा, तो स्वाभाविक है कि यहां के लोगों के साथ जान-पहचान हो जाए। इसके अलावा, उन्होंने दुर्गा सोरेन की मौत पर भी सवाल उठाए।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैं झारखंड में बहुत लोगों को नहीं जानता हूं, लेकिन अब चुनाव में मुझे यहां आना होगा, तो लाजिमी है कि मेरी बहुत सारे लोगों से मुलाकात होगी और इस तरह से मेरी जान पहचान मजबूत होगी। इसलिए मैंने लोगों से अपने संबंध प्रगाढ़ करने का प्लान बनाया है। इसके लिए मैंने सोचा कि आज मैं अपने आदिवासी नेताओं के आवास पर जाकर उनके साथ कुछ समय बिताऊंगा और उनसे कुछ सीखने का प्रयास करूंगा।“
वहीं सीता सोरेन के साथ हुई बातचीत के संबंध में उन्होंने कहा, “मेरी उनसे कोई खास बातचीत नहीं हुई थी। हालांकि, दुमका में चुनाव सभा के दौरान मेरी दुर्गा सोरेन मौत मामले के संबंध में बात हुई थी। जब दुर्गा सोरेन जी का निधन हुआ था, तब उस वक्त पोस्टमार्टम क्यों नहीं किया गया? दरअसल, चुनावी सभा होने की वजह से मेरी सीता सोरेन से ज्यादा बातचीत नहीं हो पाई थी। जिस स्थिति में दुर्गा सोरेन का देहांत हुआ उस स्थिति में तो उनका पोस्टमार्टम होना अनिवार्य था, लेकिन मेरा सवाल है कि आखिर उनका पोस्टमार्टम क्यों नहीं किया गया? उस समय घर के क्या हालत थे? आखिर किसने पोस्टमार्टम नहीं होने दिया? इन्हीं सब बातों पर मेरी सीता सोरेन से बात हुई। मेरी उनसे राजनीति के संबंध में कम और इन सभी विषयों पर ज्यादा बात हुई।“
दुर्गा सोरेन की मौत 14 साल पहले हो चुकी है। उधर, हिमंता बिस्वा से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि क्या आप इस केस को रीओपन कराकर इसकी दोबारा से जांच कराना चाहते हैं, तो इस पर उन्होंने कहा कि मैं रीओपन नहीं कराना चाहता, मेरे मन में इस केस के संबंध में कुछ जानने की आतुरता थी, इसलिए मैने सीता सोरेन से इस संबंध में जानने का प्रयास किया। अब आप लोग ही बताइए बड़े भाई की मौत होती है और परिवार की ओर से दबाव डाला जाता है कि पोस्टमार्टम ना कराया जाए, तो इससे बड़ी तकलीफ की बात और क्या होगी? अब उनकी दोनों बेटी भी बड़ी हो चुकी हैं, जो अपने पिता के नाम पर सामाजिक संस्था संचालित करती है, तो इस तरह से मेरी उनसे महज इन्हीं सब विषयों पर बातचीत हुई है। मेरी उनसे कोई भी राजनीतिक बातचीत नहीं हुई है और मेरी उनसे कोई भी नाराजगी नहीं है। हां, चुनाव हारने के बाद कुछ दिनों तक मन में दर्द रहता है, लेकिन वो गुजरते वक्त के साथ ठीक हो जाता है। अब देखिए चुनाव में हार-जीत तो लगी ही रहती है
इस बीच, जब हिमंता बिस्वा से पूछा गया कि आप कह रहे हैं कि दोनों बेटियां बड़ी हो चुकी हैं, तो क्या आप दोनों में से किसी को आगामी विधानसभा चुनाव में मौका देंगे। इस पर सीएम हिमंता ने कोई जवाब तो नहीं दिया, लेकिन इतना जरूर कहा कि देखिए जिस तरह से दोनों अपने पिता के नाम पर सामाजिक संस्था चला रही हैं, वो काबिले तारीफ है और बड़ा होने के नाते मैं सिर्फ उन्हें आशीर्वाद दे सकता हूं।
बता दें कि कुछ माह बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके लिए सीएम हिमंता बिस्वा को सह प्रभारी बनाया गया है, जिसे देखते हुए उन्होंने अपनी राजनीतिक गतिविधियां तेज कर दी हैं।