केंद्र सरकार ने सार्वजनिक शिकायत निवारण की समयसीमा घटाकर 21 दिन की

Update: 2024-08-27 08:27 GMT
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सार्वजनिक शिकायत निवारण की समय सीमा को 30 दिन से घटाकर 21 दिन कर दिया है। इसके जरिए सरकार की कोशिश शिकायत निवारण को समयबद्ध, सुलभ और सार्थक बनाना है।
संशोधित गाइडलाइंस में सरकार ने शिकायतें निपटाने के लिए नोडल ऑफिसर की नियुक्तियों का भी सुझाव दिया है। सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, जिन मंत्रालय और विभागों में शिकायतों का बोझ अधिक है वहां समर्पित नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। साथ ही किसी भी शिकायत को केवल इसलिए बंद नहीं किया जाएगा कि वह विभाग से संबंधित नहीं है। बल्कि समाधान के लिए सही मंत्रालय और विभाग के पास भेजा जाएगा। शिकायत का समाधान होने पर इसकी जानकारी एसएमएस और ईमेल के माध्यम से शिकायतकर्ता को दी जाएगी। इसके बाद एक फीडबैक कॉल सेंटर से शिकायतकर्ता को कॉल की जाएगी। अगर वह संतुष्ट नहीं होता है तो वह उच्च स्तर के अधिकारियों के पास कार्रवाई के लिए अपील कर सकता है। अपीलीय प्राधिकारी स्वतंत्र रूप से अपील पर विचार करेगा और अधिकतम 30 दिनों में उसका निपटारा किया जाएगा।
नोडल ऑफिस का काम शिकायतों का वर्गीकरण, लंबित मामलों की निगरानी करना, फीडबैक के प्रोसेस को देखना, पॉलिसी में सुधार करना, समस्या के कारण को जानना, मासिक डेटा सेटों का मिलान करना और मंत्रालय/विभाग के शिकायत निवारण अधिकारियों की पर्यवेक्षी निगरानी करना आदि है। वहीं, जिन शिकायतों को निपटाने के लिए 21 दिन से ज्यादा का समय लगेगा, उनके बारे में एक अंतरिम जवाब में संभावित समय सीमा के बारे में जानकारी शिकायतकर्ता को दी जाएगी।
प्रशासनिक सुधार एवं जन-शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) की ओर से मंत्रालय और विभागों में आई शिकायतों के गहन-विश्लेषण के लिए एआई टूल्स का भी इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे झूठी, गलत और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य के लिए की जारी शिकायतों चिन्हित और शिकायतकर्ताओं को ब्लॉक किया जा सके।
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