बैंक से करोड़ों की धोखाधड़ी के आरोप में मशहूर फिल्म मेकर पर CBI का शिकंजा
आईडीबीआई बैंक को 119 करोड़ रुपए से ज्यादा के नुकसान से
बैंक | सीबीआई ने आईडीबीआई बैंक को 119 करोड़ रुपए से ज्यादा के नुकसान से जुड़े कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में फिल्म मेकर जसप्रीत सिंह वालिया उर्फ बंटी वालिया के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने बताया कि यह मामला आईडीबीआई बैंक को 119 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान से जुड़ा है।
अपनी शिकायत में बैंक ने आरोप लगाया कि जीएस इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (जीएसईपीएल) को जून 2008 में 2.35 मिलियन अमेरिकी डॉलर (तब 10 करोड़ रुपये के बराबर) का विदेशी मुद्रा ऋण (एफसीएल) और 4.95 करोड़ रुपये का सावधि ऋण (आरटीएल) स्वीकृत किया गया। यह ऋण फिल्म कलाकार संजय दत्त, बिपाशा बसु अभिनीत हिंदी फिल्म ‘लम्हा के निर्माण के लिए फिल्म वित्तपोषण योजना के तहत वालिया और अन्य की व्यक्तिगत गारंटी पर दिया गया।
बैंक ने आरोप लगाया कि मूल कार्यक्रम के अनुसार फिल्म को 2009 में रिलीज़ किया जाना था, लेकिन मार्च 2009 से प्रमोटर और निर्माताओं के बीच विवाद के कारण इसमें देरी हुई। जिसके बाद यह ऋण, 30 सितंबर, 2009 को एक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बन गया। बैंक ने जीएसईपीएल पर धोखाधड़ी, रिकॉर्ड में हेरफेर, सार्वजनिक धन की हेराफेरी, गलत बयानी और विश्वास के आपराधिक उल्लंघन का आरोप लगाया है।सीबीआई ने आईडीबीआई बैंक को 119 करोड़ रुपए से ज्यादा के नुकसान से जुड़े कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में फिल्म मेकर जसप्रीत सिंह वालिया उर्फ बंटी वालिया के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने बताया कि यह मामला आईडीबीआई बैंक को 119 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान से जुड़ा है।
अपनी शिकायत में बैंक ने आरोप लगाया कि जीएस इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (जीएसईपीएल) को जून 2008 में 2.35 मिलियन अमेरिकी डॉलर (तब 10 करोड़ रुपये के बराबर) का विदेशी मुद्रा ऋण (एफसीएल) और 4.95 करोड़ रुपये का सावधि ऋण (आरटीएल) स्वीकृत किया गया। यह ऋण फिल्म कलाकार संजय दत्त, बिपाशा बसु अभिनीत हिंदी फिल्म ‘लम्हा के निर्माण के लिए फिल्म वित्तपोषण योजना के तहत वालिया और अन्य की व्यक्तिगत गारंटी पर दिया गया।
बैंक ने आरोप लगाया कि मूल कार्यक्रम के अनुसार फिल्म को 2009 में रिलीज़ किया जाना था, लेकिन मार्च 2009 से प्रमोटर और निर्माताओं के बीच विवाद के कारण इसमें देरी हुई। जिसके बाद यह ऋण, 30 सितंबर, 2009 को एक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बन गया। बैंक ने जीएसईपीएल पर धोखाधड़ी, रिकॉर्ड में हेरफेर, सार्वजनिक धन की हेराफेरी, गलत बयानी और विश्वास के आपराधिक उल्लंघन का आरोप लगाया है।