बांग्लादेश तख्तापलट : ‘शेख हसीना की स्थिति गंभीर, आर्मी का बढ़ेगा प्रभाव’

Update: 2024-08-07 03:18 GMT
नई दिल्ली: बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर लोगों द्वारा आगजनी और हिंसक भीड़ के बेकाबू होने के बाद शेख हसीना के देश छोड़ने पर अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार रबिंदर सचदेव ने इस समय को शेख हसीना के लिए मुश्किल भरा बताया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे के चलते आने वाले महीनों में आर्मी का प्रभाव वहां बढ़ने की संभावना है।
विशेष रूप से भारतीय मूल के लोगों के लिए स्थिति वहां खतरनाक हो सकती है। शेख हसीना और उनकी पार्टी का लगभग सफाया हो गया है, और ब्रिटिश और अमेरिकी सरकारें उनसे नाराज हैं। शेख हसीना दुबई जाने का विकल्प सोच सकती हैं, जहां कानून व्यवस्था अच्छी है। भारत में शरण लेने की संभावना को भारत खुद टाल सकता है। बांग्लादेश में अस्थिरता के कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें वहां की स्थिति पर बनी हुई हैं।
वह आगे कहते हैं कि बांग्लादेश में आगे अनिश्चितता का माहौल है। आने वाले दिनों में वहां आर्मी का रोल अहम रहेगा। बांग्लादेश की आर्मी कहती है कि वहां पर अंतरिम सरकार बनाई जाएगी, जो एक तरह से ‘टेक्नोक्रैट्स’ हों। उस अंतरिम सरकार का रोल यह होना चाहिए कि चुनाव की तैयारी कराकर चुनाव करवाए। यह बहुत महत्वपूर्ण होगा कि वहां की सरकार यह कहे कि उन्होंने चुनाव के लिए तैयारियां पूरी कर लीं। वहां कितने दिन में चुनाव होंगे? 3 महीने में, 2 महीने में, 6 महीने में? अभी कुछ कह नहीं सकते। इस सब मामले में वहां की आर्मी का रोल अहम रहेगा।
शेख हसीना की बात करें तो उनका और उनकी पार्टी का बांग्लादेश में एकदम सफाया हो गया है। वह अभी भारत में हैं और उनके यूके जाने की बात हो रही है। इसमें दो तीन फैक्टर काम करते हैं। पता नहीं यूके सरकार कौन सा वीजा उन्हें दे। याद रखिए यूएस और यूके सरकार काफी समय से शेख हसीना से इस बात पर नाराज है कि वह अपने देश में लोकतंत्र को दबा रही हैं। अब इस पर क्या रूख रहता है, यह देखने वाली बात होगी। यूके उन्हें वीजा दे सकता है।
यूके में उनकी बहन वहां की नागरिक है, इसके अलावा वहां उनकी एक बेटी लेबर पार्टी की सांसद है। बांग्लादेश के नेताओं की दुबई और लंदन में काफी प्रॉपर्टी है।
लंदन में शेख हसीना को एक समस्या है, वह समस्या यह है कि लंदन में बांग्लादेशी मूल के लोग काफी संख्या में रहते हैं। इन लोगों में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो शेख हसीना के खिलाफ हैं। जिसकी वजह से शेख हसीना शायद दुबई जा सकती हैं। दुबई की कानून व्यवस्था काफी सख्त है। उनका यहां लंबे समय तक रहना भारत को नजरअंदाज करना चाहिए।
गौरतलब है कि बांग्लादेश में हजारों लोगों की हिंसक भीड़ को राजधानी ढाका की तरफ बढ़ते देख पीएम शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। इसके बाद वह भारत आ गईं। भारत में उनके विमान को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतारा गया। जहां वह कड़ी सुरक्षा में हिंडन एयरबेस में वायुसेना के एक सेफ हाउस में रुकी हैं।
बताया जा रहा है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंग्लैंड से शरण मांगी है। जैसे ही इंग्लैंड की सरकार उनकी शरण को मंजूर कर देगी, वह भारत से इंग्लैंड चली जाएंगी।
बांग्लादेश में इससे पहले भी कई बार हिंसक भीड़ ने आरक्षण के मुद्दे पर राजधानी ढाका के अलावा आसपास के इलाकों में आगजनी व तोड़फोड़ की थी। तब बांग्लादेश की आर्मी ने भीड़ पर नियंत्रण पा लिया था। लेकिन इस बार लोगों की भीड़ के हिंसक होते ही प्रधानमंत्री ने इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया।
बता दें, बांग्लादेश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए देश की तमाम सरकारी नौकरियों में दिए जा रहे आरक्षण के विरोध में एक जुलाई से प्रदर्शन की शुरुआत छात्रों ने की थी। पांच जून को ढाका हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को आरक्षण को फिर से लागू करने का आदेश दिया था।
बांग्लादेश में 30 फीसदी नौकरियों में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों के अलावा पौत्र-पौत्रियों के लिए, प्रशासनिक जिलों के लोगों के लिए 10 फीसदी, महिलाओं के लिए 10 फीसदी, जातीय अल्पसंख्यक समूहों को 5 फीसदी और विकलांगों को 1 फीसदी आरक्षण नौकरियों में दिया जा रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत महिलाओं, विकलांगों और जातीय अल्पसंख्यक लोगों के लिए भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान पहले से ही है। इस रिजर्वेशन सिस्टम को 2018 में वहां की सुप्रीम कोर्ट द्वारा निलंबित कर दिया गया था। इस निलंबन के बाद इस तरह के विरोध प्रदर्शन पूरे देश में रूक गए थे।
सोमवार को बांग्लादेश में भीड़ ने अपनी मांगों को लेकर राजधानी व उसके आसपास के इलाकों में आगजनी, तोड़फोड़ की जिसमें सैकड़ों लोगों के मारे जाने की भी पुष्टि हुई है। इसके अलावा राजधानी में लगे शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को भी तोड़ दिया गया।
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