हाईकोर्ट के निर्णय के बाद दिल्ली के बुजुर्गों को मिलेगा आयुष्मान योजना का लाभ : रामवीर सिंह बिधूड़ी
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएम-आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन(पीएम-अभिम) योजना को लागू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि 5 जनवरी तक राज्य और केंद्र सरकार के बीच इस योजना को लेकर एमओयू साइन हो जाना चाहिए।
हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि मैं हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं और दिल्ली की जनता की ओर से कोर्ट का आभार व्यक्त करता हूं। हमने लगातार इस मुद्दे को दिल्ली विधानसभा में उठाया था। सभी भाजपा विधायकों ने इस मुद्दे को उठाया है। अरविंद केजरीवाल और उनके डिप्टी सीएम द्वारा किए इस योजना को लागू करने के वादे के बाद भी इसे लागू नहीं किया गया। मोदी सरकार ने इस योजना के लिए लगभग 2,400 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं, इससे यह सुनिश्चित होता है कि यदि कोई बीमार पड़ता है, तो उसे चिकित्सा व्यय के लिए पांच लाख रुपये तक का लाभ मिल सके। लेकिन केजरीवाल ने इस योजना का लाभ दिल्ली के लोगों तक नहीं पहुंचने दिया। केजरीवाल ने इस योजना को इसलिए लागू नहीं किया, क्योंकि इससे पीएम मोदी की लोकप्रियता और बढ़ जाएगी। मैं दिल्ली के लोगों से अपील करना चाहता हूं कि 5 जनवरी को जब एमओयू साइन हो जाएगा, तो वे आयुष्मान योजना के तहत पंजीकरण कराएं और सालाना पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य लाभ लें।
भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि आयुष्मान भारत एक बहुत व्यापक योजना है, इसके दो पहलू हैं। एक है प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, इसके तहत लाभार्थियों को सालाना पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज दिया जाता है। इसमें 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों के लिए मुफ्त इलाज भी शामिल है। दूसरा है पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन, इसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली सरकार को अस्पतालों सहित स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने के लिए 2,406.77 करोड़ रुपये आवंटित किए। इनसे 1139 अर्बन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्, 11 डिस्ट्रिक्ट पब्लिक हेल्थ लैब्स, 9 क्रिटिकल केयर ब्लॉक्स और 950 बेड बनाए जाने थे। लेकिन आप की सरकार ने अपनी राजनीति के चलते न तो एमओयू साइन किया, न फंड लिया। आम आदमी पार्टी की सरकार यह लापरवाही न केवल शर्मनाक है, बल्कि दिल्ली की जनता के साथ घोर अन्याय भी है। भाजपा दिल्ली हाईकोर्ट का आभार व्यक्त करती है कि कोर्ट ने हस्तक्षेप कर जनता के हित में निर्णय लिया।