विश्व स्वास्थ्य संगठन का दावा- बिना वैक्सीन Covid-19 पर नियंत्रण कर सकती है दुनियां

Update: 2020-09-02 03:33 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यूरोप और दुनिया के अन्य देश बिना वैक्सीन के भी कोविड-19 पर नियंत्रण पा सकते हैं, लेकिन उन्हें स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने होंगे. WHO के यूरोप के निदेशक ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि यहां राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन सफल रहे हैं, लेकिन जहां संक्रमण फैलने का ख़तरा सबसे ज्यादा है वहां इसकी काफी जरूरत है. उधर इटली के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना संक्रमित मरीज को वायरस से उबरने में कम से कम एक महीना लगता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक हैन्स क्लूग ने स्काई न्यूज़ से कहा, 'जब हम महामारी पर विजय हासिल करेंगे, ज़रूरी नहीं कि वह वैक्सीन से संभव हो. ऐसा हम तभी कर पाएंगे जब हम महामारी के साथ रहना सीख लेंगे और ऐसा हम कर ही कर सकते हैं.' जब उनसे पूछा गया कि क्या आने वाले महीनों में संक्रमण की सेकेंड वेव से बचने के लिए फिर से बड़े पैमाने पर लॉकडाउन लगाने पड़ सकते हैं, तो उन्होंने कहा, 'नहीं. मुझे उम्मीद है कि इसकी ज़रूरत नहीं पड़ेगी मगर स्थानीय स्तर पर लगने वाले लॉकडाउन की संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता.'

एक महीने में खत्म हो जाता है वायरस का असर
इटली के वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीज को वायरस को दूर करने में कम से कम एक महीना लगता है. इसलिए पॉजिटिव आने के एक महीने बाद ही दोबारा टेस्ट कराना चाहिए. उन्होंने बताया कि पांच निगेटिव टेस्ट रिजल्ट में एक गलत होता है. इटली के मोडेना एंड रेजियो एमिलिया यूनिवर्सिटी के डॉ. फ्रांसिस्को वेंतुरेली और उनके साथियों ने 1162 मरीजों पर अध्ययन किया है.
इसमें कोरोना मरीजों की दूसरी बार टेस्टिंग 15 दिन बाद, तीसरी बार 14 दिन बाद और चौथी बार नौ दिन बाद की गई. इसमें पता चला कि पहले जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई वे फिर से पॉजिटिव पाए गए. औसतन पांच लोगों के निगेटिव टेस्ट में एक का रिजल्ट गलत था. अध्ययन के मुताबिक 50 साल तक के लोगों को 35 दिन और 80 साल से ज्यादा की उम्र वालों को ठीक होने में 38 दिन लगते हैं.

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