वीर भूमि को चूम कर युवाओं ने दी CDS जनरल रावत को विदाई
‘दोनों हाथों को जोड़कर प्रार्थना करता हुआ दो युवक ,जो अपनी आंखों को बंदकर काफी देर तक प्रार्थना करता रहा
'दोनों हाथों को जोड़कर प्रार्थना करता हुआ दो युवक ,जो अपनी आंखों को बंदकर काफी देर तक प्रार्थना करता रहा, उसकी आंखें नम हो गई, उसके बाद अचानक वो नीचे झुका और अपने पैरों के बल बैठकर अपना सर जमीन पर रखकर सजदा करने लगा.' ये वाक्या उस वक्त की है जब दिल्ली कैंट में स्थित बरार स्क्वायर श्मशान स्थल में दिवंगत जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी का अंतिम संस्कार की प्रक्रिया चल रही थी. इन दोनों युवकों की उम्र करीब 35 -37 साल की होगी. जब उन दोनों युवकों को देश के सेना से जुड़े अधिकारी के प्रति इस कदर का लगाव और सम्मान देखा तो उससे बातचीत किए बिना रह नहीं पाया.
जब उस युवक से पूछा गया कि आप कौन हैं और आपका नाम क्या है? क्या कुछ वजह थी, या कोई विशेष लगाव था क्या आपका जनरल रावत या उनके परिजनों के साथ? जो आप इस कदर भावुक होकर उनको सजदा कर रहे हैं? तब युवक ने कहा-मैं दिल्ली का ही निवासी हूं, लेकिन मेरे नाम में क्या रखा है? देखें VIDEO…
नाम और सम्मान तो ऐसे सैन्य अधिकारी का होता है, जिसके जाने से देश का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. मैंने इनके बारे में बहुत पढ़ा है, लोगों से सुना है, पता नहीं मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा हूं, कैसे मैं इस श्रद्धांजलि स्थल तक पहुंचा हूं, मुझे खुद नहीं पता, मैं बेहद भावुक हो गया हूं. देश जनरल रावत को कभी भूल नहीं सकता, उनके साहसिक कार्यों ने देश को बहुत मजबूती प्रदान की है. अब आपसे ज्यादा मैं बात भी नहीं कर पाऊंगा
तिरंगा लेकर पार्थिव शरीर लेकर जा रहे वाहन के काफिले के साथ दौड़े
दिल्ली कैंट इलाके में सेना का विशेष स्थल बरार स्क्वायर एरिया में शुक्रवार शाम चार बजकर 56 मिनट पर देश के पहले चीफ जनरल ऑफ डिफेंस रहे जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत का अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार के वक्त हजारों युवाओं ने हिस्सा लिया, सैकड़ों की संख्या में आर्मी के ट्रेनी जवान उत्तराखंड से जनरल रावत को श्रद्धांजलि देने आए थे. जो जोश के साथ घंटो जनरल रावत और भारत माता की जय के जयकारे लगा रहे थे.
इस दौरान कुछ ऐसे भी नौजवानों की टीम देखी गई जो जनरल बिपिन रावत के आवास से लेकर दिल्ली कैंट के शमशान घाट तक हाथों में भारत का तिरंगा लेकर दौड़ते हुए पहुंचे थे. पार्थिव शरीर वाले वाहन के साथ कदम से कदम मिलाते हुए कई किलोमीटर तक दौड़ना उन युवकों का जोश और जनरल रावत सहित देश के लिए उसकी इक्षाशक्ति, मान सम्मान, प्यार दिखाई दे रहा था. इस जोश और जज्बा की हर कोई तारीफ करता हुआ नजर आया.
जनरल रावत की अंतिम विदाई यात्रा के दौरान काफी लोग सड़क किनारे खड़े होकर गुलाब फूल के पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करके श्रद्धांजलि दे रहे थे तो कोई उनके पार्थिव शरीर को देखकर हाथ जोड़कर प्रणाम करके श्रद्धांजलि प्रदान कर रहा था.