कैबिनेट की बैठक में योगी सरकार का फैसला, विकास दुबे कांड की जांच रिपोर्ट सदन में रखेगी सरकार

योगी सरकार ने बहुचर्चित बिकरू कांड के संबंध में गठित जांच आयोग की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने का फैसला किया है।

Update: 2021-08-16 18:37 GMT

योगी सरकार ने बहुचर्चित बिकरू कांड के संबंध में गठित जांच आयोग की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने का फैसला किया है। यह फैसला सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. बीएस चौहान की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्य जांच आयोग ने पिछले दिनों प्रदेश सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

कैबिनेट ने कमीशन आफ इन्क्वायरी एक्ट 1952 की धारा तीन की उपधारा चार के अधीन जांच आयोग की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने का फैसला किया। कानपुर नगर जिले के बिकरू गांव में दो/तीन जुलाई 2020 की रात्रि में आठ पुलिसकर्मियों की जघन्य हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में शामिल अपराधियों के पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने तथा गिरफ्तारी एवं अन्य घटनाओं की जांच के लिए इस आयोग का गठन किया गया था। जांच आयोग में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति शशि कांत अग्रवाल और प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता शामिल भी थे। सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद प्रदेश सरकार ने इस जांच आयोग के गठन की अधिसूचना जारी की थी।
इससे पहले प्रदेश सरकार ने बिकरू कांड की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में भी एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश सरकार कार्रवाई भी कर चुकी है। इसमें दोषी पाए अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित किया गया था। कुछ पुलिसकर्मी बर्खास्त भी किए गए थे। हत्याकांड में दर्ज मुकदमे और एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी पीएमएलए के तहत जांच कर रही है।
फॉरेंसिक साइंस इंस्टीट्यूट के संचालन के लिए गठित होगी सोसाइटी
कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट आफ फॉरेंसिक साइंसेज लखनऊ के संचालन के लिए सोसाइटी का गठन करने का फैसला भी किया है। यह इंस्टीट्यूट लखनऊ की सरोजनीनगर तहसील में बन रहा है। इसी महीने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसका शिलान्यास किया था।
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