विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दी चेतावनी, Omicron को 'माइल्ड' ना समझें, नहीं तो...
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन स्ट्रेन को पिछले वैरिएंट्स की तुलना में कम खतरनाक बताया जा रहा है. लेकिन WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने दावा किया है कि ओमिक्रॉन दुनियाभर में लोगों की जान ले रहा है और इसे हल्का समझने की गलती नहीं करनी चाहिए. WHO प्रमुख टेड्रस अधनोम ने कहा कि नए वैरिएंट से रिकॉर्ड संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं. यह कई देशों में डेल्टा वैरिएंट से भी आगे निकल गया है और इसका स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर पड़ रहा है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में टेड्रस ने कहा, 'ओमिक्रॉन खासतौर से वैक्सीनेटेड लोगों में डेल्टा की तुलना में हल्का लग रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसे कम गंभीर मान लिया जाए.' उन्होंने कहा कि पिछले वैरिएंट्स की तरह ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीज अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं और मौतें भी हो रही हैं. भारत में भी ओमिक्रॉन वैरिएंट से दो लोगों की मौत हो चुकी है. ओडिशा के बोलांगीर में 55 साल की एक महिला की ओमिक्रॉन से मौत हो गई. इससे पहले राजस्थान के उदयपुर में एक 73 साल के बुजुर्ग की नए वैरिएंट से मौत हुई थी.
बीते सप्ताह ही WHO ने कोरोना संक्रमण के 95 लाख नए मामले दर्ज किए हैं, जो इससे पिछले सप्ताह से करीब 71 फीसदी ज्यादा हैं. हालांकि यह मामले इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं, क्योंकि हेल्थ सिस्टम पर दबाव बढ़ने के कारण मामले देरी से रजिस्टर किए जा रहे हैं.
WHO की तकनीकी प्रमुख मारिया वेन केर्खोव ने कहा, 'ऐसा लगता है कि ओेमिक्रॉन महामारी के अंत से पहले आखिरी 'वैरिएंट ऑफ कन्सर्न' है.' ओमिक्रॉन के तेजी से फैलते खतरे के बीच केर्खोव ने लोगों से खुद को सुरक्षित रखने के तरीकों का पालन करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, 'हम जो सलाह दे रहे हैं उसका बेहतर पालन करें. हमें डटकर लड़ना होगा.'
केर्खोव ने आगे कहा कि मुझे बहुत हैरानी है कि कुछ लोग फेस मास्क को लेकर इतनी ढिलाई बरत रहे हैं. उन्होंने कहा, 'हमें अपने मुंह और नाक अच्छे से कवर करने की जरूरत है. मास्क को ठोड़ी के नीचे रखने से कोई फायदा नहीं होगा.' WHO के इमरजेंसी डायरेक्टर माइकल रियान ने कहा कि वैक्सीन इक्विटी के बिना हम 2022 के अंत में यहां बैठकर कुछ ऐसी ही बातें करेंगे, जो अपने आप में एक बड़ी त्रासदी होगी.
इससे पहले WHO प्रमुख टेड्रस अधनोम ने भी अमीर देशों से अपनी वैक्सीन गरीब देशों के साथ साझा करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा था कि बुरुंडी, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोन्गो, चाड और हैटी जैसे देशों में पूरी तरह से वैक्सीनेट लोगों की आबादी एक प्रतिशत से भी कम है. जबकि हाई इनकम वाले देदेशों में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है.