विश्व कैंसर दिवस: अहमदाबाद के कैंसर पीड़ितों ने आयुष्मान योजना का गिनाया लाभ, जानें क्या कहा
अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले अनिल कुमार शर्मा को डेढ़ साल पहले गले में कैंसर की बीमारी का पता चला था। हालांकि, अब वे अपनी बीमारी में लगभग 50 प्रतिशत राहत महसूस कर रहे हैं। उन्होंने इसका श्रेय प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना को दिया है, जिसकी मदद से उनका इलाज संभव हो पाया।
अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि शुरू में बीमारी का पता चलने पर उनका मनोबल गिर गया था, लेकिन आयुष्मान योजना के तहत समय पर उपचार मिल सका। योजना के तहत मुफ्त इलाज और आवश्यक दवाइयां मिलने से आर्थिक बोझ से भी राहत मिली है। इस योजना ने मुझे एक नई उम्मीद दी है। पहले मुझे डर था कि इलाज के खर्चे के कारण हम न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी कमजोर हो जाएंगे, लेकिन अब मैं स्वस्थ होने की दिशा में आगे बढ़ रहा हूं।
वहीं अनिल कुमार शर्मा की बहन अलका शर्मा ने बताया कि हम पहले निजी अस्पतालों में भी गए थे, जहां इलाज का खर्च तो बहुत बढ़ गया था, लेकिन कोई खास आराम नहीं मिल रहा था। करीब तीन लाख रुपये खर्च करने के बावजूद हमें कोई खास राहत नहीं मिली। इसके बाद हमने प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना का कार्ड बनवाया और इसके बाद हमें तत्काल राहत मिली। आयुष्मान कार्ड बनवाने में कोई कठिनाई नहीं आई, और उनका कार्ड जल्द ही सक्रिय हो गया। यह कार्ड हमारे इलाज का एक अहम हिस्सा बना और हमने यहां से कीमोथेरेपी शुरू की। अब हमारा चौथा कीमो हो चुका है और हम बेहतर महसूस कर रहे हैं। अस्पताल की सुविधाएं और स्टाफ दोनों ही बेहतरीन हैं, और इलाज के मामले में हमें कोई शिकायत नहीं है।
वहीं अहमदाबाद की निवासी राधा अग्रवाल को जून 2024 में कैंसर का पता चला था। शुरुआत में यह बीमारी प्राइवेट अस्पताल में सामने आई, लेकिन इसके बाद उन्होंने पीएम आयुष्मान कार्ड के तहत सरकारी अस्पताल में इलाज कराना शुरू किया, जहां उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं।
राधा अग्रवाल ने बताया, "जब मुझे कैंसर का पता चला, तो मैं सबसे पहले प्राइवेट अस्पताल गई थी। वहां काफी खर्चा हुआ, लेकिन इलाज में कोई खास राहत नहीं मिली। फिर मैंने पीएम आयुष्मान योजना का कार्ड बनवाया और अब सरकारी अस्पताल में इलाज करवा रही हूं। यहां की सुविधाएं बहुत अच्छी हैं और इलाज में काफी सुधार भी महसूस हो रहा है।"
राधा अग्रवाल के बेटे निश्चय अग्रवाल ने बताया, "जब हमें कैंसर का पता चला, तो पहले हम प्राइवेट अस्पताल गए थे, लेकिन इलाज का खर्च बहुत ज्यादा हो रहा था। इसके बाद हमें सुझाव मिला कि हम आयुष्मान कार्ड बनवाएं, जिससे सरकारी अस्पताल में बेहतर इलाज मिल सके। हमने कार्ड बनवाया और तब से अब तक इलाज चल रहा है। अगर हम प्राइवेट अस्पताल जाते तो इलाज का खर्च पांच से दस गुना ज्यादा आता। सरकारी अस्पताल में इलाज बहुत किफायती और बेहतर हो गया है। मेरी मां काफी राहत महसूस कर रही हैं।"
अहमदाबाद की रहने वाली 73 वर्षीय मखबूबा बानो को पिछले पांच महीने से पेट के कैंसर का इलाज पीएम आयुष्मान योजना के तहत मिल रहा है। मखबूबा बानो ने बताया कि जब उन्हें कैंसर का पता चला, तो उनके परिवार ने तुरंत इलाज शुरू किया और आयुष्मान कार्ड से उन्हें सरकारी अस्पताल में उच्च गुणवत्ता वाले इलाज का लाभ मिल रहा है।
मखबूबा बानो की बेटी गुलनाज ने कहा कि मेरी मां के पेट में गांठ हो गई थी। आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज के बाद वह अच्छा महसूस कर रही हैं। पहले हम प्राइवेट अस्पताल गए थे, लेकिन इलाज अच्छा नहीं मिला, जिसके बाद हम सरकारी अस्पताल में आए, जहां बेहतर इलाज मिल रहा है। यहां बिना पैसे का इलाज हो रहा है। इस योजना का बड़े पैमाने पर हमें लाभ मिला है। इस योजना की जितनी तारीफ की जाए, वो कम है।
अहमदाबाद के निवासी सिराज मोहम्मद हनीफ बर्फवाला ने ब्लड कैंसर से अपनी जंग आयुष्मान कार्ड की मदद से सफलतापूर्वक लड़ी और अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। सिराज मोहम्मद ने बताया कि ब्लड कैंसर का पता चलने पर उनकी स्थिति बेहद गंभीर हो गई थी, लेकिन प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत इलाज शुरू होने के बाद उन्हें इलाज के खर्च से राहत मिली और अब वह स्वस्थ हो रहे हैं।
सिराज ने कहा कि ब्लड कैंसर का पता चलने के बाद हम बहुत घबराए हुए थे, लेकिन आयुष्मान कार्ड ने हमें एक नई उम्मीद दी। इस योजना के तहत सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान न केवल मुझे बेहतर इलाज मिला, बल्कि इलाज के खर्च में भी काफी कमी आई। मेरा इलाज फ्री में हुआ और डॉक्टरों की टीम का हर समय हमें सहयोग मिला।