कोटा। कोटा आरएलएसडीसी के माध्यम से सीधे कार्मिकों के खातों में वेतन भुगतान करवाने की मांग को लेकर कोटा मेडिकल कॉलेज के सरकारी अस्पतालों में चल रहे ठेका कर्मचारियों ने सोमवार को दो घंटे कार्य बहिष्कार रखा। इस दौरान कार्मिकों ने रैली निकाली। अखिल राजस्थान चिकित्सा विभाग/ठेका कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महामंत्री दिलीप सिंगोर ने बताया कि पिछले दिनों सरकार की तरफ से 15 सितम्बर तक मांग पूरी कर नोटिफिकेशन जारी करने का आश्वासन दिया था, लेकिन तीन दिन गुजर जाने के बावजूद मांग पूरी नहीं की गई। कैबिनेट बैठक में इसका निर्णय होना था, लेकिन इसकी भी तिथियां बदलती जा रही हैं। इसे देखते हुए ठेका कर्मचारियों में भी रोष बढ़ता जा रहा है। यदि सरकार ठेका कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय नहीं लेती है तो फिर से पूर्ण कार्य बहिष्कार किया जाएगा।
कनीकी संसाधनों के उपलब्ध होने से ज्यादा जरूरी यह है कि तकनीक का इस्तेमाल करने वालों को इसके लिए दक्ष किया जाए। फसल बीमा योजना में किसान गिरदावरी के वास्ते सरकार ने जो ऐप लॉन्च किया है उसके नतीजों को देखते हुए यह जरूरत ज्यादा महसूस होती दिख रही है। बीते पखवाड़े में 40 हजार किसान ही अपने स्तर पर इस ऐप के माध्यम से गिरदावरी कर पाए हैं। इससे बड़ा आंकड़ा तो पटवार स्तर की ऐप के जरिए की जा रही गिरदावरी का है जहां 51 हजार गिरदावरी की जा चुकी हैं। इस तरह 15 दिन में 90 हजार से अधिक गिरदावरी मोबाइल एप के माध्यम से हुई हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि ऐप के प्रति किसान अभी उतनी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं, जितनी कि उम्मीद की जा रही थी। इसके पीछे प्रमुख कारण किसानों का तकनीकी रूप से दक्ष न होना भी है। यह सही है कि गिरदावरी के आधार पर ही किसान को फसलों के खराबे पर मुआवजा मिलता है। इस काम के लिए ज्यादातर किसानों को पटवारियों पर निर्भर रहना पड़ता है। इधर, पटवारी भी काम के बोझ के कारण समय पर गिरदावरी नहीं कर पाते। इस व्यवस्था को सरल बनाने तथा प्रत्येक किसान को अपनी फसल की स्थिति की स्वयं जांच करने में सक्षम बनाने के लिए ही यह ऐप लॉन्च की गई है। इसमें किसान अपने खेत का खसरा नंबर डाल कर स्वयं फसल की गिरदावरी कर सकते हैं।
वैसे तो इस ऐप के माध्यम से पटवारी पर निर्भरता भी कम ही होगी। किसान तकनीक की सहायता से अब खुद इस काम को कर सकते हैं। वैसे भी तकनीक के नुकसान कम और फायदे ज्यादा हैं। किसान खुद गिरदावरी करेगा तो सही रिपोर्ट फीड करेगा। इसमें फर्जीवाड़े की आशंका इसलिए भी नहीं है क्योंकि सत्यापन भी पटवारी के माध्यम से ऑनलाइन ही होना है। समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद व फसल बीमा क्लेम में गिरदावरी की जरूरत होती है। देखा जाता है कि इसमें पटवारी सही एरिया दर्ज नहीं करते। इसका नुकसान किसानों को होता आया है। तकनीक का व्यापक इस्तेमाल होने लगा तो पटवारियों के कार्य बहिष्कार आंदोलन के दौरान भी गिरदावरी करना आसान हो जाएगा। किसान अपनी रिपोर्ट खुद बनाएंगे तो मुआवजा भी वाजिब मिल सकेगा। इस तकनीक के व्यापक प्रचार-प्रसार की जरूरत है। किसान तकनीकी रूप से जितने ज्यादा दक्ष होंगे, उनको ऐप का उतना ही ज्यादा फायदा मिलेगा।