नई दिल्ली: दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों के प्रयासों से 13 वर्षीय बच्चे की आवाज सात साल बाद फिर लौट आई है। बच्चा न तो कुछ बोल सकता था और न ही ठीक से खा सकता था। डॉक्टरों ने दुर्लभ सर्जरी कर आवाज लौटाने में सफलता हासिल की है।
दरअसल, राजस्थान के रहने वाले श्रीकांत (बदला नाम) को बचपन में सिर में चोट लग गई थी, तब उसे लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था। इस कारण उसकी सांस नली जाम हो गई। इसके बाद डॉक्टरों ने सांस के लिए ट्रेकियोस्टोमी विधि द्वारा गर्दन में छेदकर श्वास नली में ट्यूब डाली। बच्चा ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब से ही 10 साल से अधिक समय से सांस ले रहा था।
सर गंगाराम अस्पताल के ईएनटी विभाग के डॉ. मुनीष मुंजाल ने कहा कि बच्चे के वायुमार्ग में 100 फीसदी ब्लॉकेज था। ऑपरेशन करने के लिए थोरैसिक सर्जरी, ईएनटी, बाल रोग, एनेस्थीसिया विभागों के डॉक्टरों का एक पैनल बनाया गया। थोरैसिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सब्यसाची बल ने कहा कि यह बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी, जिसमें मरीज की जान तक जा सकती थी।
डॉक्टर मुनीष मुंजाल ने बताया कि बच्चे के वॉयस बॉक्स के पास चार सेंटीमीटर का वायुमार्ग नष्ट हो चुका था। पहली चुनौती इसके ऊपरी और निचले हिस्सों का अंतर कम करने की थी। 'वॉयस बॉक्स' को नीचे लाते समय हमने 'सांस नली' के निचले हिस्से को छाती में उसके आस-पास के जोड़ों से अलग किया और 'विंड पाइप' को 'वॉयस बॉक्स' की ओर खींच लिया। क्रिकॉइड हड्डी' का ऑपरेशन भी मुश्किल था। यह 'वॉयस बॉक्स' के नीचे 'घोड़े की नाल' के आकार की हड्डी है जिसमें दोनों ओर 'मिनट वॉइस नर्वस होती हैं जो आवाज और वायुमार्ग की रक्षा करती है। आवाज के लिए जिम्मेदार नसों को सुरक्षित रखने में भी अतिरिक्त सावधानी रखी गई। यदि ये क्षतिग्रस्त होती तो आवाज कभी नहीं आती।
बाल रोग विभाग के निदेशक डॉ.अनिल सचदेव ने कहा कि बच्चे की छाती में सांस नली के रिसाव का अत्यधिक जोखिम था। बच्चे को तीन दिनों तक गर्दन के बल (ठोड़ी को छाती की ओर बंद करके) रखा गया। अब वह स्वस्थ है।