हैदराबाद। कांग्रेस कार्य समिति ने शनिवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि 18 सितंबर से आरंभ हो रहे संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित किया जाए। कार्य समिति में पारित प्रस्ताव में जातिगत जनगणना की मांग भी उठाई गई है और कहा गया है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए आरक्षण की मौजूदा अधिकतम सीमा को बढ़ाया जाए।
प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है, ‘‘इस सरकार के आने के बाद से संसदीय बहस और जांच लगभग गायब ही हो गई है। कई महत्वपूर्ण और दूरगामी कानूनों को उचित जांच और चर्चा के बिना जल्दबाज़ी में आगे बढ़ा दिया गया है। संसद में पेश किया गया मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति आदि) विधेयक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से गंभीर समझौता करने वाला है।’’
कार्य समिति का कहना है, ‘‘ सरकार अचानक संसद का विशेष सत्र बुला लेती है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सार्वजनिक चिंता और महत्व से जुड़े नौ गंभीर मुद्दों को उठाया, जिन पर इस विशेष सत्र में चर्चा की आवश्यकता है। कांग्रेस कार्यसमिति महिला आरक्षण बिल को संसद के इस विशेष सत्र में पारित करने की मांग करती है। ’’
उसने जाति जनगणना की मांग उठाते हुए कहा, ‘‘ वह जाति जनगणना कराने से मोदी सरकार के इंकार को भी रेखांकित करती है। पूरे देश से जाति जनगणना की मांग उठ रही है। इस मांग को मानने से भाजपा के इनकार ने सामाजिक और आर्थिक न्याय के प्रति उसकी प्रतिबद्धता की कमी के साथ-साथ पिछड़े वर्गों, दलितों एवं आदिवासियों के प्रति उनकी सोच को सबके सामने ला दिया है।’’ कांग्रेस कार्य समिति ने कहा कि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षण की मौजूदा ऊपरी सीमा को बढ़ाने का भी आह्वान करती है।