एमपी। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से मात्र 50 किलोमीटर दूर पानी की किल्ल्त हो गई है. घर-घर में टंकियां होने के बावजूद पानी नहीं आ रहा है. रोजमर्रा का काम करने के लिए लोगों को मजबूरन 1 किलोमीटर दूर कुएं से पानी भरने जाना पड़ रहा है. 41 डिग्री तापमान में महिलाएं घूंघट कर बड़े-बड़े बर्तनों को भरकर कुएं से पानी घर ला रही हैं. सीहोर जिले के दो दर्जन से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पानी की किल्लत से परेशान हैं. गांवों में ग्रामीणों के अलावा मवेशियों को भी पानी के लिए भटकते देखा जा सकता है.
ग्रामीण तपती दोपहर में कई किलोमीटर दूर से पानी भरकर ला रहे हैं. इछावर विधानसभा के बिजिशनगर गांव में जान जोखिम में डालकर कुएं की पाल पर महिलाए घंटों खड़े होकर पानी भरती हैं. आसपास इलाकों में पानी के लगभग सभी प्राकृतिक स्रोत सूख चुके हैं. यहां तक कि कुओं में भी पानी नहीं के बराबर बचा है. बीजेपी विधायक करणसिंह वर्मा के विधानसभा इलाके में ग्रामीण रस्सी के सहारे पाइप से पानी भरने को मजबूर हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार, पानी के लिए कुआं ही एकमात्र विकल्प है .लेकिन उसके लिए भी एक किमी दूर चलना पड़ता है और बाकी पानी के सारे स्रोत सूख चुके हैं.
कुंए की गहराई ज्यादा होने से महिला- पुरुष कूपों में रस्सी डालकर पानी भरते हैं. बिजिशनगर गांव की सुनीता मेवाडा, रामकुंवर बाई का कहना है दुर्घटना होने का डर रहता है लेकिन पानी की मजबूरी है. सरपंच गुड्डीज्ञान सिंह ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत डेढ़ साल से पानी की टंकी गांव में निर्माणाधीन है लेकिन अभी तक उसका काम पूरा नहीं हुआ है. गांव के अंदर पाइपलाइन सहित नल कनेक्शन भी लगा दिए लेकिन ठेकेदार डेढ साल से आज तक पानी की टंकी नहीं बन पाए. ठेकेदार की मनमानी से ग्रामीण और जनप्रतिनिधि दोनों परेशान हैं. कई बार पीएचई विभाग के अफसरों से शिकायत के बावजूद पानी की समस्या बनी हुई है. गांव में पानी की टंकी अधूरी पड़ी है लेकिन कोई ध्यान नहीं देता. आए दिन लोग घर आकर पानी के लिए बहस करते हैं. प्रभारी मंत्री प्रभुराम चौधरी को भी आवेदन दिया है लेकिन आज तक गांव में पानी की समस्या का हल नहीं हो पाया. गांववाले जान जोखिम में डाल कुएं की पाल से पानी भरने को मजबूर हैं.