अमेरिका से महिला पहुंची भारत, शरीर से निकले जिंदा कीड़े, जानिए पूरा माजरा

Update: 2022-02-22 04:24 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने एक 32 वर्षीय अमेरिकी महिला के शरीर से तीन जिंदा कीडे़ (बॉटफ्लाई) निकाले हैं। बॉट फ्लाई एक छोटा कीड़ा जैसा है जो इंसानों के अलावा स्तनधारियों के शरीर में घुस जाते हैं।

32 वर्षीय महिला के मामले में मयाइसिस (ह्यूमैन बॉटफ्लाई) की पुष्टि होने के बाद सफलतापूर्वक इलाज किया गया। मरीज अपनी दायीं पलक में सूजन के अलावा लाली की शिकायत के साथ अस्पताल आई थी। जांच के दौरान पता चला कि महिला को पिछले चार से छह हफ्तों से अपनी पलकों के पीछे कुछ चलता हुआ महसूस हो रहा था। महिला ने अमेरिका में डॉक्टरों से परामर्श लिया था, लेकिन मयाइसिस (ह्यूमैन बॉटफ्लाई) को हटाया नहीं जा सका और डॉक्टरों ने उन्हें राहत देने के लिए कुछ दवाएं देकर डिस्चार्ज कर दिया। इसके बाद वह इलाज के लिए दिल्ली के एक निजी अस्पताल पहुंची। यहां डॉक्टर मोहम्मद नदीम ने उनकी सफल सर्जरी की। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते मयाइसिस (ह्यूमैन बॉटफ्लाई) को हटाया नहीं जाता तो यह शरीर के कई ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकता था, जिसकी वजह से नाक के अलावा, चेहरे और आंखों को क्षति पहुंच सकती थी। यहां तक कि इसकी वजह से मरीज दुर्लभ किस्म की मेनिंजाइटिस का शिकार भी हो सकती थी और मृत्यु की भी आशंका थी।
मयाइसिस (ह्यूमैन बॉटफ्लाई) धीरे-धीरे नरम झिल्लियों को कुतरकर उसके नीचे की संरचनाओं को निगल जाता है। इस तरह के मामले पहले भी मध्य एवं दक्षिण अमेरिका तथा अफ्रीका से आ चुके हैं। भारत में इस प्रकार के मामले प्राय: ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों में सामने आ चुके हैं और उनकी नाक या त्वचा पर घावों के जरिए ये बॉटफ्लाई शरीर में प्रविष्ट हुईं।
डॉ. मोहम्मद नदीम ने बताया कि यह मयाइसिस का बेहद दुर्लभ मामला था, जिसमें स्वस्थ त्वचा से किसी बाहरी जीव ने शरीर में प्रवेश किया और यह गंभीर रोग के अलावा मृत्यु का भी कारण बन सकता था, इसलिए ऐसे मामलों में बिना देरी किए तत्काल जांच करानी चाहिए।
अमेरिका की यह महिला घूमने की शौकीन है और दो महीने पहले अमेजन के जंगल में घूमने गई थीं। उनकी यात्रा के बारे में जानने के बाद डॉक्टरों ने उनकी जांच और रोग का सही-सही निदान किया। सर्जरी डिपार्टमेंट के डॉ. नरोला यंगर ने तीन जिंदा बॉटफ्लाइ निकाले जिनमें दो सेंटी मीटर आकार के एक जीव को दायीं पलक से, दूसरे को उनकी गर्दन के पिछले भाग से और तीसरे को उनकी दायीं बाजू के अगले भाग से निकाला गया। यह सर्जरी 10-15 मिनट में की गई और मरीज को एनेस्थीसिया नहीं दिया गया।
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