महिला को हाईकोर्ट से मिली राहत, अब पुलिस भर्ती हो सकती है शामिल
जानें पूरा मामला
महाराष्ट्र। सरकार ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि उसने जूनियर टाइपिस्ट के गैर-कांस्टेबुलरी पद पर उस महिला की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसे पहले पुलिस की नौकरी से इसलिए वंचित कर दिया गया था कि वह चिकित्सकीय रूप से एक पुरुष थी. महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने इस बात की जानकारी दी.
वहीं सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता महिला सलवार कुर्ता और दुपट्टा पहनकर कोर्ट पहुंची. महिला ने कोर्ट से अपील की कि उसके माता-पिता गन्ना काटने का काम करते हैं. उसे अपने परिवार के लिए कुछ स्थिर आय प्राप्त करने के लिए नौकरी की जरूरत है. महिला ने अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी से 2018 नासिक ग्रामीण पुलिस भर्ती में भाग लिया था. वह योग्य थी लेकिन चिकित्सकीय रूप से एक पुरुष पाई गई थी. महिला ने तब हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद पुलिस विभाग को उसकी नियुक्ति के लिए महाराष्ट्र सरकार के फैसले को लागू करने का निर्देश दिया था.
हाई कोर्ट को बताया गया था कि महिला को इसलिए भर्ती नहीं किया गया क्योंकि मेडिकली वह पुरुष थी. इस आधार पर उसके योग्यता अंक पुरुषों की कट-ऑफ जितने नहीं थे. इस पर हाई कोर्ट ने मई के अपने आदेश में कहा था कि 19 वर्षीय याचिकाकर्ता एक महिला के रूप में अपना जीवन जी रही थी, जब तक कि उसे मेडिकल परीक्षा परिणाम के बारे में पता नहीं चला. महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और शर्मिला देशमुख की खंडपीठ को बताया कि गृह विभाग के संयुक्त सचिव ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण और विशेष दस्ते) को गैर-कांस्टेबुलरी पद पर महिला की नियुक्ति के बारे में लिखा था.
राज्य सरकार ने कहा कि उसने पुलिस निरीक्षक, नासिक (ग्रामीण) के कार्यालय में जूनियर टाइपिस्ट के रूप में नियुक्त करने के लिए विशेष मामले के आधार पर याचिकाकर्ता को छूट देने का फैसला किया है. सरकार ने कहा कि उसे एक साल के भीतर इसके लिए योग्यता का लाभ उठाना होगा. सरकार ने कहा कि इस महिला की नियुक्ति को आगे के मामलों के लिए मिसाल नहीं माना जा सकता.
अतिरिक्त डीजीपी संजय कुमार ने नासिक पुलिस (ग्रामीण) को महिला की नियुक्ति को प्रभावी करने के लिए प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था. कुंभकोनी ने कहा कि भर्ती के लिए महिला को फिर से मेडिकल टेस्ट से गुजरना होगा और दो सप्ताह में पूरी होने की संभावना है. इस पर पीठ ने फैसला किया कि वह याचिका का निपटारा नहीं करेगी बल्कि महिला के औपचारिक रूप से भर्ती होने तक इसे लंबित रखेगी. पीठ 18 अगस्त को याचिका पर अगली सुनवाई करेगी. पीठ ने याचिकाकर्ता महिला के लिए वकील विजयकुमार आर गरड से यह पता लगाने को कहा कि क्या भर्ती प्रक्रिया का पालन करने में कोई समस्या तो नहीं आ रही है है.