अंतिम संस्कार के बाद जिंदा हो गई महिला, इस योजना से खुला राज, पुलिस के उड़े होश

थाने में शिकायत दर्ज करवाई.

Update: 2024-07-02 09:33 GMT
भिंड: मध्य प्रदेश के भिंड जिले में मिली जिस लाश को ज्योति शर्मा समझकर अंतिम संस्कार किया गया था, वह लाश ज्योति की थी ही नहीं, बल्कि ज्योति तो भिंड छोड़कर दिल्ली से सटे नोएडा में थी. हैरान कर देने वाला यह घटनाक्रम भिंड के मेहगांव इलाके से निकलकर सामने आया है.
पूरा मामला कुछ इस तरह है कि भिंड के जिले के मेहगांव में रहने वाले सुनील शर्मा की पत्नी ज्योति शर्मा बीती 2 मई को अचानक घर से लापता हो गई थी. पहले तो सुनील ने अपने स्तर पर ज्योति को तलाशा, लेकिन जब कहीं कोई खबर नहीं मिली तो मेहगांव थाने में शिकायत दर्ज करवाई.
दो ही दिन बीते थे कि 4 मई को एक महिला की जली हुई लाश मौ थाने के कतरौल गांव के पास खेत में पड़ी मिली. जली हुई लाश की शिनाख्त करने के लिए ज्योति के मायके और ससुराल पक्ष के लोग घटनास्थल पर पहुंच गए. यहां ज्योति का पति सुनील शर्मा लाश को किसी और महिला की बताता रहा, जबकि मायके पक्ष के लोगों ने लाश की शिनाख्त ज्योति के रूप में ही की.
मायके पक्ष की शिनाख्त के आधार पर पुलिस ने उस लाश को ज्योति की लाश मान लिया और आगे की कार्रवाई शुरू कर दी. लाश का पोस्टमार्टम करवाने के बाद मायके पक्ष के लोगों ने ज्योति के ससुराल पक्ष के लोगों पर दबाव बनाया कि वो लाश को अपनी सुपुर्दगी में लें और उसका अंतिम संस्कार करें. ऐसा नहीं करने पर चक्काजाम करने की धमकी भी दी.
मायके पक्ष और पुलिस के दबाव के चलते पति सुनील शर्मा ने महिला की लाश को अपनी सुपुर्दगी में ले लिया और उसका अंतिम संस्कार कर दिया. इतना ही नहीं, अस्थि विसर्जन के लिए गंगा जी भी पहुंचा और यहां अस्थि विसर्जन करने के बाद वापस मेहगांव लौटकर कन्या भोज भी आयोजित किया.
पुलिस ने मायके पक्ष के आरोपों पर आगे कार्रवाई करते हुए सुनील को दबोच लिया और उसकी जमकर पिटाई की, लेकिन सुनील इस बात को मानने को तैयार नहीं था कि वह लाश ज्योति की थी.
सुनील का कहना था कि उसने अपनी पत्नी की हत्या नहीं की है और न ही वह लाश उसकी पत्नी की थी. दिन बीतते गए और पुलिस का दबाव सुनील और उसके परिवार पर बढ़ता गया. पुलिस से बचते हुए सुनील अपने दिन काट रहा था, तभी अचानक एक दिन सुनील बैंक में पैसे निकालने के लिए पहुंचा, तब उसे इस बात की जानकारी लगी कि ज्योति के बैंक खाते से ₹2700 का ट्रांजैक्शन हुआ है.
खास बात यह है कि मध्य प्रदेश में 'लाड़ली बहना योजना' के तहत मिलने वाली राशि को कियोस्क सेंटर पर अंगूठा लगाकर निकाला गया था. जानकारी लेने पर पता लगा कि दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा के एक कियोस्क सेंटर से पैसों की निकासी की गई है. इसके बाद यह खबर पुलिस तक भी पहुंची. सुनील पुलिस के साथ नोएडा पहुंचा, तभी अचानक फुटपाथ पर टूटी चप्पल जुड़वाते हुए ज्योति भी मिल गई.
ज्योति को पुलिस मेहगांव ले आई. कोर्ट में पेश करने के बाद ज्योति को मायके पक्ष के सुपुर्द कर दिया गया. ज्योति तो 53 दिन बाद जिंदा लौट आई, लेकिन अब पुलिस के सामने यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि जिस शव का ज्योति की लाश समझकर पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार करवा दिया गया था, वो लाश आखिर किस महिला की थी?

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