लखनऊ: योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी उत्तर प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष बन सकते हैं. भूपेंद्र चौधरी ने बुधवार को दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है. इसके बाद से ही उनके नाम की चर्चा तेज हो गई है. माना जा रहा है कि गुरुवार को बीजेपी नए प्रदेश का अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है. पश्चिमी यूपी के जाट समाज से आने वाले भूपेंद्र चौधरी के जरिए बीजेपी सूबे में क्षेत्रीय और जातीय दोनों ही संतुलन बनाने का दांव चल सकती है.
सूत्रों की माने तो बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने बुधवार को यूपी के पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र चौधरी दिल्ली बुलाया था. इसके बाद वो आजमगढ़ से आननफानन दिल्ली आकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. चौधरी को प्रदेश की कमान सौंपने के लिए पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने अपनी सहमति दे दी है. ऐसे में माना जा रहा है कि भूपेंद्र चौधरी अब स्वतंत्र देव सिंह की जगह लेंगे.
बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर पश्चिमी यूपी के नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देना चाहती है ताकि क्षेत्रीय समीकरण बना रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल से आते हैं तो संगठन की कमान पश्चिमी यूपी को देने की रणनीति है. ऐसे में पश्चिमी यूपी में जाट वोट बैंक को साधने के लिए भूपेंद्र चौधरी सबसे मजबूत नेता माने जा रहे हैं. इस तरह बीजेपी भूपेंद्र चौधरी के जरिए जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कवायद है.
भूपेंद्र चौधरी को यूपी में पार्टी की कमान सौंपकर पश्चिमी यूपी में आरएलडी-सपा के गठबंधन का असर कम करने की भी रणनीति मानी जा रही है. इतना ही नहीं बीजेपी को 2022 के चुनाव में सूबे के जिस इलाके में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है, वो पश्चिमी यूपी के सहारनपुर से लेकर मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, बरेली और रामपुर है. चौधरी इसी क्षेत्र से आते हैं. इसीलिए उनको आगे किया जाना लगभग तय है. इससे पश्चिमी यूपी की जाटों के प्रभाव वाली डेढ़ दर्जन लोकसभा सीटों पर बीजेपी को फायदा हो सकता है.
जाट समुदाय से आने वाले भूपेंद्र चौधरी को बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी करीबी माना जाता है. इसके अलावा आरएसएस के पुराने स्वयंसेवक हैं. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जाट चेहरा लाकर भाजपा जहां किसान आंदोलन के कारण पार्टी से दूर माने जा रहे जाटों और किसानों को साध सकती है तो पश्चिमी यूपी में पार्टी का आधार और मजबूत कर सकती है.
यूपी बीजेपी अध्यक्ष को लेकर पिछले पांच महीने से कशमकश बना हुआ है, लेकिन अभी तक किसी भी नाम पर मुहर नहीं लग सकी. हालांकि, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की लिए केशव प्रसाद मौर्य के नाम की भी चर्चा जब तेज हो गई थी जब उन्होंने ट्वीय किया था कि 'संगठन सरकार से बड़ा है'. इसके बाद ये माना जाने लगा था कि बीजेपी उन्हें पार्टी की कमान सौंप सकती है. इसके अलावा ओबीसी चेहरे के तौर पर बीएल वर्मा को जगह मिली है.
केशव मौर्य के अलावा बीजेपी में ब्राह्मण और दलित चेहरों पर भी मंथन किया जा रहा था. ब्राह्मण नेताओं में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, सांसद सतीश गौतम, सुब्रत पाठक, श्रीकांत शर्मा, दिनेश शर्मा और प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक के नाम शामिल थे. 2004, 2009, 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव के समय प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा ब्राह्मण समुदाय से ही रहे है. बीजेपी के इसी पैटर्न के चलते ब्राह्मण समुदाय से प्रदेश अध्यक्ष बनाने की कयास लगाए जा रहे थे. वहीं, दलित चेहरे के तौर पर केंद्रीय राज्य मंत्री भानु प्रताप वर्मा, रामशंकर कठेरिया, विद्यासागर सोनकर के नाम पर भी चर्चा तेज थी.