हिम्मत और जज्बे के साथ डटी रही विधवा महिला, अब बनी अफसर

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Update: 2021-07-14 15:22 GMT

राजस्थान प्रशासनिक सेवा के मंगलवार रात को घोषित हुए परिणामों में सरहदी बाड़मेर की लक्ष्मी ने विधवा कोटे में तीसरी रैंक हासिल की है. अपने सपने के लिए कड़ी मेहनत करने वाली लक्ष्मी की किस्मत में राज का हिस्सा बनना लिखा था लेकिन इस सपने से पूरा होने से पहले इनके पति और पिता दुनिया से अलविदा कह गए. घर मे मातम के माहौल में भी लक्ष्मी हिम्मत और जज्बे के साथ डटी रही और विधवा कोटे से वह राज्य में तीसरी रैंक के साथ सफल हुई है.

सरहदी बाड़मेर से करीब 35-40 बेटे-बेटियों का राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयन हुआ है. बाड़मेर शहर की रहने वाली लक्ष्मी मूढ़ की शुरुआती तालीम बाड़मेर के राजकीय बालिका विद्यालय में हुई. कक्षा 12 तक मयूर नोबल अकेडमी में पढ़ने के बाद लक्ष्मी ने गर्ल्स कॉलेज बाड़मेर से बीए करने के बाद बीएड की पढ़ाई महेश महिला कॉलेज से की. लक्ष्मी के पिता स्वर्गीय हेमाराम इंदिरा गांधी केनाल में हेल्पर पद पर कार्यरत थे. मां अनसी देवी गृहणी है. 5 भाई बहन के परिवार में बड़े भाई विशनाराम टीचर हैं तो बहन पुष्पा चौधरी और रेखा चौधरी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं. वहीं एक बहन मनीषा चौधरी जैसलमेर में एलडीसी पद पर कार्यरत है.

लक्ष्मी की शादी छीतर का पार में हुई थी. लेकिन 2017 में इनके पति रूपाराम की मौत हो गई. उसके कुछ दिनों बाद ही इन्होंने आरएएस प्री की परीक्षा पास की. पति के निधन के बाद इनके पिता की 25 जनवरी 2019 टीबीएम से मृत्यु हो गई. अपने सपनों को संघर्षों के आगे नही झुकाकर लक्ष्मी ने कड़ी मेहनत की और इस परीक्षा को पास किया.

लक्ष्मी ने 2016 में आई सब इंस्पेक्टर, 2018 में आई रीट एवं सेकेंड ग्रेड भर्ती परीक्षा भी दी. बतौर इन तीनों परीक्षाओं में सफलता भी मिली. लेकिन लक्ष्य था बस प्रशासनिक सेवा में जाने का. लक्ष्मी 2018 में सेकेंड ग्रेड भर्ती परीक्षा में पास होने के बाद वर्तमान में सरली विद्यालय में कार्यरत हैं. वहीं 2018 में आरएएस परीक्षा भी दी जिसके बाद देर रात आए परिणामो में सफलता हासिल की है. लक्ष्मी बताती है विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस मुकाम को पाना ही उनका लक्ष्य था.

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