एमपी। मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले (Dindori) की ग्राम पंचायत गनेशपुर में एक विधवा महिला खुद को ज़िंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है. पीड़ित महिला सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाकर अब थक चुकी है. दरअसल श्यामबाई बर्मन नामक जीवित महिला को ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों ने सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया है. ऐसे मामले जिले में इसके पहले भी आये हैं. बावजूद इसके ऐसे मामलों की संख्या में कमी नहीं आई है. श्यामा बाई काफी दिनों से अपने जिंदा होने का सबूत देने के लिए सम्बंधित कार्यालयों के चक्कर लगाकर परेशान हो चुकी है. दस्तावेजों में हुई गड़बड़ी के कारण उस महिला को पेंशन समेत अन्य सरकारी योजनाओ का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
मामले का खुलासा तब हुआ जब श्यामबाई को शासन से विधवा पेंशन योजना की राशि मिलना बंद हो गई. करीब 6 महीने से विधवा पेंशन की राशि जब श्यामबाई के बैंक खाते में नहीं आई. तो वो इस बात की जानकारी लेने अपने बेटे के साथ जनपद पंचायत कार्यालय पहुंची थी. जहां जनपद के अधिकारीयों ने बताया की श्यामबाई की 8 अप्रैल 2022 को मृत्यु हो चुकी है. लिहाजा उसका पेंशन योजना से नाम काट दिया गया है. सरकारी दस्तावेजों में खुद को मृत देख श्यामबाई और उसके बेटे के पैरों तले जमीन खिसक गई और उन्होंने जनपद के अधिकारियों को बताया कि श्यामबाई तो जिंदा है लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं सुनी.
लगभग डेढ़ महीने ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत के चक्कर काटने के बाद विधवा महिला श्यामबाई मंगलवार को कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंची जहां श्यामा बाई अपने जिंदा होने की बात जिले के अधिकारियों के सामने रखी. जहां जीवित महिला को उचित कार्यवाही का आश्वासन मिला है. वही जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष सुशील राय ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और दोषी अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही का भरोसा जताया है.
इस मामले को लेकर जनपद पंचायत के सीईओ गणेश पांडे से पूछा गया तो वो मीडिया के कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आए. डिंडौरी जिले में यह कोई पहला मामला नहीं है. इसे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं.