किसकी बनेगी सरकार, किसको ख़ारिज करेगी देश की जनता?

Update: 2024-05-27 05:43 GMT

आर.के. सिन्हा

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान का छठा चरण 25 मई को संपन्न होने के साथ ही देश के राजनीतिक विश्लेषक, आमजन, चौक-चौराहों के चौपाल विशेषज्ञ, छोटे - बड़े ज्योतिषि वगैरह, सभी अपने-अपने तरीके से चुनाव नतीजों को लेकर अपना निष्कर्ष देने लगे हैं। अब तो सिर्फ एक चरण का मतदान ही शेष हैं। आगामी 1 जून को अंतिम चरण का मतदान समाप्त होने के बाद, देश को 4 जून की दोपहर तक ही पता चल जाएगा कि भारत का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, कौन सी राजनीतिक पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी और एनडीए को या इंडिया ब्लॉक को अधिक सीटें मिल रही हैं।

हालांकि अभी तक अधिकतर जानकारों का यह दावा है कि देश में फिर से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ही एनडीए गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। प्रख्यात पॉलिटिकल कमेंटेटर और डेटा साइंटिस्ट सुरजीत भल्ला कह रहे हैं कि भारत के लोगों बीते दस सालों के दौरान जो तरक़्क़ी देश में देखी है इतनी तरक्की सत्तर साल में नहीं देखी। भाजपा को इस चुनाव में कुल 42 से 45 प्रतिशत तक वोट मिल सकते हैं। ज़्यादा भी मिल जायें तो कोई आश्चर्य नहीं ? जाहिर है, अगर भाजपा और उसके मित्र दलों को इतने फीसद वोट मिले तो सरकार तो उनकी ही बनेगी। अब बात कर ले अपने को महान राजनीतिक चिंतक बताने वाले योगेन्द्र यादव की। वे राहुल गांधी की एक पदयात्रा में भी शामिल हुए थे। डॉ. लोहिया के विचारों को मानने वाले योगेन्द्र यादव के मुताबिक, इन चुनावों में भाजपा को 240-260 और एनडीए के साथी दलों को 35-45 सीटें मिल सकती हैं। मतलब भाजपा / एनडीए को 275 से 305 के बीच सीटें मिलने जा रही हैं। देश में सरकार बनाने के लिए 272 सीटें चाहिए और जारी लोकसभा चुनाव में भाजपा / एनडीए की 303/323 सीटें हैं। यह तो राहुल समर्थक योगेन्द्र जी की भविष्यवाणी है ।हालांकि, मेरा मत है कि एनडीए गठबंधन को योगेन्द्र यादव के दावे से कहीं अधिक सीटें मिल रही हैं। मैं भी 1967 से लेकर अबतक के सभी चुनावों को क़रीब से देखता रहा हूँ और अपने अनुभव के आधार पर यह कह रहा हूँ कि इसबार भाजपा और सहयोगी दलों का प्रदर्शन अबतक के सारे रिकॉर्ड तोड़ने वाला होगा । मैंने लोकसभा चुनाव की कैंपेन के दौरान सारे देश भर की खाक छानी है। आम जनता से बातें की और उनका मन टटोला। उसके बाद मैं या मानता हूं कि एनडीए को हर हालात में 350 से अधिक ही सीटें मिलेंगी।

इस बीच, मुंबई के जाने-माने ज्योतिषी, स्तंभकार और लेखक पंडित जे.पी.त्रिखा पिछले कम से कम दो लोकसभा चुनावों की सटीक भविष्यवाणी कर चुके हैं। उन्होंने 2014 और 2019 में एनडीए की सफलता की भविष्यवाणी कर दी थी। उन्होंने ज्योतिष विद्या के आधार पर 2024 के लोकसभा चुनावों के परिणामों पर भी गहन शोध के बाद अपनी भविष्यवाणी कर दी है। पंडित त्रिखा कहते हैं, "मेरा ज्योतिष अध्ययन स्पष्ट रूप से कहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक सीटें जीतने वाली पार्टी बनने जा रही जा रही है। इस मामले पर कोई बहस नहीं होनी चाहिए। इसलिए, भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू श्री मोदी को 4 जून के बाद सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगी।

पंडित त्रिखा के अनुसार, "श्री नरेंद्र मोदी की चंद्र राशि वृश्चिक है। उनका जन्म 17 सितंबर, 1950 को हुआ था। वे मंगल ग्रह से शासित हैं। वृश्चिक राशि वाले बहुत बुद्धिमान और चतुर होते हैं और उनमें नेतृत्व करने के गुण होते हैं। वे जन्मजात नेता होते हैं। मोदी जी ने इसे बार-बार साबित किया है।"

दिलचस्प बात यह है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी वृश्चिक राशि के हैं। वृश्चिक राशि के नेताओं को अक्सर उनके दृढ़ संकल्प के लिए जाना जाता है। वे अपने मुखर और रणनीतिक नेतृत्व शैली के लिए भी जाने जाते हैं।वृश्चिक राशि वाले जुनूनी, दृढ़संकल्प से भरे और संकट में भी जुझारू रूप से मैदान में डटे रहते हैं। वृश्चिक राशि वाले संकटों को संभालने और चुनौतियों को पार करने में अच्छे होते हैं।

इस बीच, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस को लेकर दावा कर रहे हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी तीन अंकों के आंकड़े तक नहीं पहुंचेगी। इसके साथ ही, वे इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि भाजपा इस बार 2019 के आम चुनावों में प्राप्त अपनी सीटें दोहराने जा रही है या उससे भी आगे निकल सकती है। जब उनसे पूछा गया कि उन्हें भाजपा की तरफ से कितनी सीटें जीतने की उम्मीद है, तो प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरे पास जो भी अवलोकन और अनुभव है, उसके आधार मुझे नहीं लगता कि भाजपा की संख्या 2019 में जहां थी, वहां से कम हो जाएगी। वे दावा कर रहे हैं कि 2019 में भाजपा के पास जो संख्या थी, कमोबेश वही संख्या मुझे दोहराती हुई दिख रही है या शायद यह और भी बेहतर हो जाएगी। हालांकि उनके दावों पर बहुत बवाल भी मचा हुआ है। उनकी राय से इत्तेफाक न रखने वाले उन पर तमाम तरह के आरोप भी लगा रहे हैं। पर, सुरजीत भल्ला या योगेन्द्र यादव के दावों पर कोई कुछ नहीं कर रहा। यानी कमोबेश देश को पता चल चुका हैकि देश में अगली सरकार किसकी बनेगी।

वैसे , मैं भी ज्योतिषियों पर विश्वास करता हूँ। पर मेरा विश्वास प्रोफेशनल ज्योतिषियों पर थोड़ा कम और शौक़िया ज्योतिषियों पर कुछ ज़्यादा है , क्योंकि ; ज्योतिष उनकी रोज़ी - रोटी का साधन नहीं , उनकी व्यक्तिगत साधना है जो निश्वार्थ है । ऐसी ही एक ज्योतिषी महिला का कल रात फ़ोन आया और उन्होंने कहा ,” अंकल जी , इस बार मोदी जी 400 से ज़्यादा सीटें ला रहे हैं।” मैंने पूछा कि तुम्हारी इस भविष्यवाणी का आधार क्या है ? उन्होंने बताया कि मैंने 1984 में राजीव गाँधी की जो ग्रहदशा चल रही थी उसका गंभीरता से सूक्ष्म विश्लेषण किया है। मोदी जी की वैसी ही ग्रहदशा चल रही है और मोदी जी की ग्रहदशा 1984 के राजीव गाँधी की ग्रहदशा से कहीं ज़्यादा मज़बूत है ।

इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था , जब उन्होंने दावा किया था कि मोदी जी 75 वर्ष की आयु तक पहुँचने पर प्रधानमंत्री पद छोड़ देंगे। मतलब उन्होंने पूरी तरह यह मान लिया था , उनका गठबंधन हार रहा है। गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया है कि मोदी जी 2029 के बाद भी प्रधानमंत्री बने रहेंगे। पंडित त्रिखा भी कुछ इसी तरह का दावा करते हैं कि मोदी जी 2029 तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे।

बहरहाल, अभी लोकसभा चुनाव का अंतिम चरण होना शेष है। इतनी भयंकर गर्मी में मतदान करने के लिए घर से निकलना और मतदान केन्द्रों पर खड़ा होना सच में हिम्मत की बात है। चुनाव आयोग को सरकार और सियासी दलों से मिलकर यह तय करना चाहिए कि आगामी लोकसभा चुनाव मार्च के महीने तक सम्पन्न हो जाएं। आजकल देश के बड़े भाग में सूरज देवता आग उगल रहे हैं। पारा 45 डिग्री तक पहुंच रहा है। इन हालातों में मतदान के बढ़ने की उम्मीद करना बेमानी ही होगी। एक बात और! मतदान की तारीख वीकेंड पर न रखी जाए। वीकेंड पर मतदान होने से बहुत सारे लोग बच्चों को लेकर घूमने के लिए निकल जाते हैं। इसलिए मतदान सप्ताह के बीच में रखा जा सकता है। इसी प्रकार पर्व त्योहारों के दिन भी मतदान नहीं होना चाहिये। हां, बिना किसी ठोस कारण के मतदान न करने वालों पर उचित दंड या पाँच वर्षों तक सरकारी सुविधाओं से वंचित करने पर भी विचार किया जा सकता है।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

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