राजस्थान के चार और जिलों में भी सफेद सोना दबा होने की उम्मीद, सर्वेक्षण जारी
जयपुर: राजस्थान में लिथियम के भंडार केवल नागौर के डेगाना और जैसलमेर में ही मौजूद नहीं है, बल्कि प्रदेश के चार और जिलों में यह सफेद सोना दबा है। अब तक नागौर के डेगाना, जैसलमेर के पोकरण में इसके होने की बात सामने आई थी। अब बीकानेर, जयपुर, चूरू, बाड़मेर के कुछ हिस्सों में भी इसके होने के दावे किए जा रहे हैं। यहां भी खान विभाग, जीएसआई सहित अन्य एजेंसियों की मदद से इस बेशकीमती धातु को खोजने में लगा है। लिथियम के भंडार नागौर के डेगाना और जैसलमेर में खोज रहे हैं। यहां कितनी मात्रा में व्याप्त हैं, इसके मात्र कयास ही अभी तक लगाए गए हैं। कितनी मात्रा में यह मौजूद हैं, इसकी पुष्टि जीएसआई सहित खान विभाग सर्वेक्षण कार्य पूरा हो जाने के बाद ही बता सकेगा। खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने भी इसकी पुष्टि की है।
किन हिस्सों में यह मौजूद
अब तक के सर्वे की आई रिपोर्ट के अनुसार लिथियम बाड़मेर की मिट्टी में है। वहीं बांसवाड़ा में मैग्नीज ओर होरिजॉन व सिरोही में पैग्मेटाइटिस के साथ मिश्रित होने की प्रारम्भिक जानकारी मिली है। जैसलमेर के पोकरण, नागौर के डेगाना में पहाड़ियों के अलावा बीकानेर के लूणकरण, जयपुर के सांभर, चूरू के सुजानगढ़, ताल छापर, बड़ाबर में यह ब्रिन्स में, बाड़मेर के पचपदरा में भी लिथियम स्थित होने की संभावनाएं जताई जा रही है। इसकी खोज कार्य जल्द दु्रत गति से शुरू होगा। डेगाना के अलावा नागौर के डीडवाना, कुचामन में भी इसकी मौजूदगी की उम्मीद विभाग को है।
लिथियम महत्वपूर्ण धातु क्यों
लिथियम के उपयोग बिना बैटरी से चलने वाले हर उपकरण-व्हीकल में जरूरत होती है। इलेक्ट्रिक व्हीकल, बैटरीज, मोबाइल, लैपटॉप इसके बिना नहीं बनाए जा सकते हैं। भारत अभी इसके लिए चीन सहित अन्य देशों से इम्पोर्ट करता है। गत वर्ष पांच हजार करोड़ से ज्यादा कीमत की खरीद भारत ने विदेश से की थी। जम्मू-कश्मीर में इसके 59 लाख टन भंडार मिले हैं। आस है कि राजस्थान में इससे भी ज्यादा भंडार है, हालांकि यह अभी केवल दावा है। डेगाना में इसकी सबसे ज्यादा मात्रा में होने की उम्मीद है। इसका खनन शुरू हुआ तो भारत को इसके इम्पोर्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी।