जहां पसीना भी जम जाता है…जानें भारतीय सेना की सबसे खतरनाक पोस्टिंग के बारे में

Update: 2022-05-03 12:21 GMT

नई दिल्ली: भयानक गर्मी हो. बर्फ गिर रही हो. तूफान आए. बारिश हो या दुश्मन की गोलियां. ये भारतीय सेना ही है जो आपको देश के अंदर सुरक्षित महसूस कराती है. चाहे वह दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन हो या फिर गर्म थार का रेगिस्तान. वो चाहे चीन की सीमा से सटा बारिश वाली अरुणाचल प्रदेश का इलाक हो या फिर छत्तीसगढ़ में मच्छरों और नक्सलियों से भरा हुआ दंतेवाड़ा. हर जगह हमारे जवान अपनी चिंता किए बगैर ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. ये हैं भारत की वो पांच सबसे खतरनाक जगहें जहां पर भारतीय सेना के जवान बिना उफ किए तिरंगा लहराते हैं. 

सियाचिन (Siachen) : दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र (Word's Highest Battlefield). तापमान माइनस 60 डिग्री सेल्सियस. इतना कम ही नसों में बह रहा खून जम जाए. ऑक्सीजन का स्तर सिर्फ 10 फीसदी. सांस लेने से पहले और लेते समय यह सोचना पड़े कि सांस आएगी या नहीं. सियाचिन हमेशा से दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक जगहों में से एक रही है. भारत और पाकिस्तान के बीच तो इस जगह की कीमत और ज्यादा है. यह जगह ऐसी है, जहां से भारतीय जवान पाकिस्तान और चीन दोनों पर नजर रख लेते हैं.
सियाचिन में खाना एक लग्जरी है. इतने कम तापमान, कम ऑक्सीजन और ऊंचाई वाले इलाके में सैनिकों को याद्दाश्त खोने, नींद नहीं आने, त्वचा जलने आदि की समस्या हो जाती है. ऐसे स्थान पर जहां पानी अगर दो सेकेंड में जम जाता हो, सोचिए वहां जीवन जीना कितना मुश्किल होता होगा. चाय बनाना भी आसान नहीं होता. लेकिन हमारे जवान पूरी शिद्दत, हिम्मत और ताकत के साथ सरहद की सुरक्षा में लगे रहते हैं. 
द्रास (Dras): द्रास भारत का सबसे ठंडा रिहायशी इलाका और दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा इलाका माना जाता है. यह इलाका तब चर्चा में ज्यादा आया, जब 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों के हमले के बाद करगिल युद्ध छिड़ा. इस स्थान पर युद्ध के दौरान 500 से ज्यादा भारतीय जवान शहीद हुए. यह इलाका दुनिया के सबसे संवेदनशील सीमाओं में से एक है. यहां तैनात जवानों को विपरीत मौसम से जूझना पड़ता है. द्रास को लद्दाख का दरवाजा भी कहा जाता है. 
द्रास 10, 800 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है. यहां पर अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस तक जाता है. न्यूनतम माइनस 45 तक. तापमान भले ही सियाचिन का कम रहता है लेकिन द्रास में चलने वाली तेज हवाएं इस ठंड को और जानलेवा बना देती हैं. यहां पर 1999 में तोलोलिंग और टाइगर हिल पर पाकिस्तानियों ने कब्जा कर लिया था. उसके बाद वो लगातार NH-1 को टारगेट बना रहे थे. 
दंतेवाड़ा (Dantewada): छ्त्तीसगढ़ का ऐसा इलाका जहां तीन चीजें बेहद खतरनाक हैं. जंगल और उसमें रहने वाले मच्छर और नक्सली. इस इलाके को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है. ये वही जगह है जहां पर अप्रैल 2010 को सीआरपीएफ के 76 जवानों को नक्सलियों ने मार दिया था. नक्सलियों ने सीआरपीएफ की 82वीं बटालियन को लगभग खत्म कर दिया था. हमले के बाद नक्सली हथियार भी लूट ले गए थे. 
अक्टूबर 2018 में दूरदर्शन के कैमरापर्सन अच्युतानंदा साहू और दो अन्य पुलिसकर्मी नक्सली हमले में मारे गए थे. यहां के जंगलों में पोस्टिंग के दौरान सबसे बड़ी दिक्कत आती है ह्यूमेडिटी वाला मौसम. मच्छर और जंगली जीवों से खतरा अलग. नक्सलियों की गोली से भले ही हमारे जवानों का उतना नुकसान अब नहीं हो रहा है लेकिन मच्छरों और जंगल के मौसम से तो फर्क पड़ता ही है. 
थार रेगिस्तान (Thar Desert): राजस्थान के थार रेगिस्तान (Thar Desert) में भारत-पाकिस्तान सीमा का सबसे बड़ा हिस्सा है. यह करीब 1040 किलोमीटर लंबी है. इसकी सिक्योरिटी में करीब 3 लाख जवान तैनात रहते हैं. यहां पर रेतीले तूफान, घुसपैठ और सीमा पार से कभी-कभी सीजफायर की घटनाओं के बीच तापमान का भयानक खेल होता है. यहां पर गर्मियों में दिन में तापमान अधिकतम 50 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है. इस गर्मी में तेज हवाओं और रेतीले तूफानों के बीच जवानों की सीमा पर ड्यूटी बेहद कठिन होती है.
अरुणाचल प्रदेश भारत-चीन सीमा (Arunachal Pradesh India-China Border): भारत-चीन के बीच सीमा विवाद का एक और गढ़. ये सबसे खतरनाक तैनातियों में इसलिए गिनी जाती है क्योंकि यहां पर अक्सर चीनी सैनिक भारतीय पोस्ट पर हमला कर देते हैं. संघर्ष होता है. यहां पर तवांग के पास दोनों तरफ भारी मात्रा में जवानों की पोस्टिंग की गई है. यह इलाका पूरी तरह के सड़कों आदि से कनेक्टेड नहीं है. इसलिए और भी दिक्कतें होती हैं. इसके अलावा बारिश का सीजन यहां ज्यादा खतरनाक हो जाता है, क्योंकि कोहरे की वजह से सीमा पार की हलचल नहीं दिखती. 
साभार: आजतक
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