तेरे जैसा यार कहां, कहां ऐसा याराना: कोरोना पॉजिटिव दोस्त की जान बचाने 24 घंटे तक चलाई कार, सफर किया 1300 किलोमीटर, पढ़े पूरी स्टोरी

Update: 2021-04-28 03:02 GMT

कोरोना महामारी ने जहां देश के तमाम राज्यों को बेहाल कर रखा है, वहीं संकट के इस दौर में एक-दूसरे की मदद के किस्से भी कम नहीं हैं. ऐसी ही एक मिसाल रांची के रहने वाले देवेंद्र कुमार शर्मा ने पेश की है. इन्होंने अपने दोस्त की जान बचाने के लिए जो कुछ भी किया, वैसी कहानियां फिल्मों में ही देखने को मिलती हैं. देवेंद्र को 24 अप्रैल रात को रांची में वैशाली गाजियाबाद में रहने वाले संजय सक्सेना का फोन आया कि कोविड-19 पॉजिटिव राजन के लिए ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है. बस एक दिन की ही ऑक्सीजन बची है और आगे कहीं से भी कुछ इंतजाम नहीं हो पा रहा है. संजय सक्सेना के घर पर ही राजन का इलाज चल रहा है.

दरअसल, देवेंद्र और राजन के एक और कॉमन फ्रेंड संजीव सुमन की कुछ ही दिन पहले 19 अप्रैल को नोएडा में कोविड-19 से ही मौत हो गई थी. राजन भी अपनी पत्नी के साथ नोएडा में उसी सोसाइटी के फ्लैट में रहते थे जहां संजीव सुमन का भी फ्लैट था. संजीव सुमन को बचाए न जाने से राजन बहुत घबरा गए थे. उन्होंने नोएडा और दिल्ली में अस्पताल बेड के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन कहीं बेड नहीं मिला. इसके बाद राजन ने पुराने परिचित संजय सक्सेना को सब बताया. संजय सक्सेना ही फिर उन्हें अपने घर वैशाली ले गए और वहीं उनका इलाज होने लगा.
संजय सक्सेना का 24 अप्रैल को घबराई आवाज में फोन आने के बाद देवेंद्र इसी उधेड़बुन में जुट गए कि कैसे बचपन के जिगरी दोस्त राजन के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया जाए. वो रांची से रात में ही बाइक से 150 किलोमीटर दूर बोकारो के लिए निकल पड़े. देवेंद्र और राजन दोनों के परिवार मूल रूप से बोकारो के ही रहने वाले हैं. बोकारो पहुंचते ही देवेंद्र ने सिलेंडर की तलाश शुरू कर दी. कहीं से इंतजाम नहीं हो पा रहा था. ऐसे में देवेंद्र ने झारखंड गैस प्लांट के मालिक राकेश कुमार गुप्ता से संपर्क किया. राकेश ने न सिर्फ देवेंद्र को सिलेंडर उपलब्ध कराया, बल्कि पैसे भी नहीं लिए. राकेश ने देवेंद्र से कहा कि पहले अपने दोस्त को देखो, फिर किसी और बात के बारे में सोचना.
अब ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम तो हो गया, लेकिन उसे करीब 1300 किलोमीटर दूर वैशाली, गाजियाबाद समय पर पहुंचाना भी पहाड़ जैसा था. इसके लिए देवेंद्र ने अपने एक परिचित से कार मांगी और रविवार दोपहर को खुद ही ड्राइव करते हुए वैशाली गाजियाबाद के लिए निकल पड़े. लगभग 24 घंटे उन्हें इस सफर में लगे. रास्ते में ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर चेकिंग के दौरान उनसे सवाल भी किए गए. इस पर उन्हें बताना पड़ा कि उनकी दोस्त की जिंदगी का सवाल है. सोमवार दोपहर को देवेंद्र वैशाली गाजियाबाद पहुंचे. ऐन वक्त पर राजन को ऑक्सीजन मिल गई. अब राजन की हालत पहले से बेहतर है. अपने दोस्त के इस तरह बोकारो से सिलेंडर लेकर पहुंचने ने भी राजन के लिए ट़ॉनिक का काम किया.
दरअसल, देवेंद्र और राजन दोनों ही बोकारो में साथ पले बढ़े. आगे पढ़ाई के लिए वो दिल्ली आ गए. यहां संजय सक्सेना ने दोनों के लिए केयरटेकर की भूमिका निभाई थी. कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद देवेंद्र इंश्योरेंस और राजन आईटी सेक्टर में जॉब करने लगे. दोनों की उम्र 34-34 साल है. राजन अपनी पत्नी के साथ नोएडा में रहते हैं. वहीं, अविवाहित देवेंद्र राची में कार्यरत हैं. दोनों के परिवारों के बाकी सदस्य अब भी बोकारो में रहते हैं. देवेंद्र का अब यही कहना है कि जब तक उनका दोस्त पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता वो बोकारो नहीं लौटेंगे. वाकई ये दोस्ताना बेमिसाल है.

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