जब ट्रेन को रात के समय जंगल में रुकवाया गया, पूरी खबर पढ़कर कांप जाएगी रूह

चमत्कार.

Update: 2024-10-15 10:59 GMT
मथुरा: यूपी के मथुरा में 8 साल की बच्ची चलती ट्रेन से नीचे गिर गई. वह इमरजेंसी विंडो के पास बैठी थी. जिस वक्त बच्ची गिरी ट्रेन की स्पीड करीब 100 किमी प्रति घंटे की थी. कुछ देर बाद मां-बाप को पता चला कि बच्ची सीट से गायब है. इस पर आनन-फानन ट्रेन को रात के समय जंगल में रुकवाया गया. बच्ची की तलाश शुरू हुई तो घायल बच्ची झाड़ियों में पड़ी मिली. इसे 'चमत्कार' ही कहेंगे कि उसकी जान बच गई.
बच्ची अपने मां-बाप के साथ मध्य प्रदेश से मथुरा आ रही थी. तभी इमरजेंसी विंडो के पास बैठी ये बच्ची चलती ट्रेन से नीचे गिर गई. ट्रेन के 10-15 किमी आगे जाने पर पिता को पता चला कि बेटी गायब है. जिसके बाद रात में ट्रेन जंगल में रोकी गई. करीब 17 किमी दूर बच्ची झाड़ी में घायल हालत में मिली. बच्ची का एक पैर टूट गया था. रविवार देर शाम अस्पताल में उपचार के बाद बच्ची को घर भेज दिया गया.
दरअसल, वृंदावन में रंगनाथ मंदिर के पास रहने वाले अरविंद तिवारी, पत्नी अंजली 8 साल की बेटी गौरी, 5 साल के बेटे मृदुल के साथ मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ स्थित पैतृक गांव में नवरात्रि मनाने के लिए गए थे. अष्टमी की पूजा कर शुक्रवार को गीता जयंती एक्सप्रेस ट्रेन से मथुरा आ रहे थे. इसी दौरान ललितपुर रेलवे स्टेशन से 7-8 किमी दूर ये हादसा हो गया.
ट्रेन की इमरजेंसी खिड़की से गिरी गौरी ने बताया- मैं ट्रेन की खिड़की के पास बैठी थी. भाई के साथ खेल रही थी. ट्रेन की खिड़की खुली हुई थी. अचानक मोड़ आया और तेज हवा के कारण खिड़की से बाहर गिर गई. मेरे पैर में चोट थी, इस कारण खड़ी नहीं हो सकी. झाड़ी में करीब 2 घंटे तक पड़ी रोती रही. अंधेरा होने से डर लग रहा था. बाद में मम्मी-पापा और सब लोग आ गए.
वहीं, गौरी की मां अंजली ने रोते हुए कहा- बेटी को सकुशल वापस पाकर परिवार में खुशी है. नवरात्रि में देवी मां ने चमत्कार किया, जिसे हम कभी नहीं भूल पाएंगे. मेरी बेटी का दूसरा जन्म हुआ है.
गौरी के पिता अरविंद का कहना है कि उनका रिजर्वेशन S3 कोच में था. रात करीब 10 बजे परिवार ने खाना खाया. गौरी और मृदुल इमरजेंसी खिड़की के पास बैठे खेल रहे थे. इस बीच वो बेटे मृदुल को S3 कोच में ही दूसरी सीट पर पत्नी के पास छोड़ने गए. वापस अपनी सीट पर आए तो बेटी वहां नहीं थी. उन्होंने पूरी ट्रेन में बेटी की तलाश की पर वो नहीं मिली. इसी बीच उनकी नजर इमरजेंसी विंडो पर गई तो खिड़की पूरी खुली हुई थी. अरविंद ने चेन पुलिंग कर ट्रेन को जंगल में ही रोक दिया. ट्रेन घटनास्थल से करीब 10-15 किलोमीटर आगे आ चुकी थी. खोजबीन के दौरान बेटी घायल हालत में मिल गई.
ट्रेन में मौजूद GRP और अन्य पुलिसकर्मियों ने बताया कि पुलिस ने तुरंत ललितपुर GRP को सूचना दी. GRP ललितपुर थाना प्रभारी ने 16-17 किलोमीटर के रेल ट्रैक पर गौरी की तलाश के लिए तत्काल 4 टीमें बनाई. इधर से भी GRP और परिवार के लोग खोजते हुए आ रहे थे. जहां जंगल में ट्रेन रोकी गई, उससे काफी दूर बच्ची ट्रैक किनारे झाड़ियों में रोती मिली. उसके हाथ-पैर और शरीर पर चोट के निशान थे.
बच्ची को सकुशल बरामद करने के बाद रेलवे पुलिसकर्मियों ने वहां से गुजर रही एक मालगाड़ी रोकी. जिसपर सवार होकर बच्ची और उसके परिवार के लोग ललितपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे. जहां बच्ची को स्टेशन पर ही डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज दिया. इसके बाद उसे जिला अस्पताल ले जाया गया.
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