जब देश के मुख्य न्यायाधीश को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया, खुद सुनाया किस्सा
एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि हाल ही में एक सुनवाई के दौरान जब वे कुर्सी पर बैठने के स्थिति को बदल रहे थे तो, उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India-CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने खुद की ट्रोलिंग का एक किस्सा सुनाया. एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि हाल ही में एक सुनवाई के दौरान जब वे कुर्सी पर बैठने के स्थिति को बदल रहे थे तो, उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सीजेआई ने कहा कि ये चार या पांच दिन पहले की बात है. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'हाल ही में एक महत्वपूर्ण सुनवाई की लाइव-स्ट्रीमिंग चल रही थी. सुनवाई के दौरान मेरी पीठ में थोड़ा दर्द हुआ. इस बीच मैंने कोहनी कुर्सी पर रखी और अपनी स्थिति बदल ली. इसके बाद मुझे सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाने लगा. लोग कहने लगे कि मैं अहंकारी हूं. उन्होंने दावा किया कि मैं कोर्ट में एक महत्वपूर्ण सुनवाई के बीच में उठ गया था.'
CJI ने कहा कि ट्रोल करने वालों ने यह नहीं बताया कि मैंने किन परिस्तिथियों में ऐसा किया. उन्होंने कहा कि 24 साल तक न्याय सेवा में रहना थोड़ा कठिन हो सकता है, जो मैंने किया है. मैंने अदालत नहीं छोड़ी. मैंने केवल अपना स्थान बदला था, लेकिन मुझे भयंकर दुर्व्यवहार और ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा. लेकिन मुझे विश्वास है कि हमारे कंधे चौड़े हैं और हम जो काम करते हैं उसमें आम नागरिकों का अंतिम विश्वास है.
CJI बेंगलुरु में न्यायिक अधिकारियों के 21वें द्विवार्षिक राज्य स्तरीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे. यहां उन्होंने जूनियर जजों से वर्क-लाइफ बैलेंस और स्ट्रैस मैनेजमेंट पर बात की. उन्होंने कहा कि स्ट्रैस मैनेजमेंट की क्षमता एक न्यायाधीश के जीवन में महत्वपूर्ण है, खासकर जिला न्यायाधीशों के लिए. उन्होंने कहा कि तनाव को प्रबंधित करने और कार्य-जीवन में संतुलन हासिल करने की क्षमता अलग नहीं है, यह न्याय देने के साथ जुड़ी हुई है. दूसरों को ठीक करने से पहले हमें खुद को ठीक करने के बारे में सोचना चाहिए.
CJI चंद्रचूड़ ने बताया कि जब वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे, तो उन्होंने लगातार सुना था कि युवा, मध्यम स्तर और वरिष्ठ स्तर के न्यायाधीशों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है. उन्होंने कहा, कभी-कभी न्यायाधीश के रूप में हमारे साथ व्यवहार में वे सीमा लांघ जाते हैं. उन्होंने कहा, भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में मैंने देखा है कि बहुत से वकील और वादी अदालत में हमसे बात करते समय सीमा लांघते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम उन पर कोर्ट की अवमानना का केस कर दें. हमें बतौर जज या जस्टिस यह समझना होगा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया. वे भी तनाव से गुजर रहे होते हैं. कार्यक्रम में सीजेआई ने मामलों के त्वरित निपटान के लिए कर्नाटक में न्यायपालिका की भी सराहना की.