जब भारतीय पैरा एथलीट ने ट्रेन के फर्श पर सोकर की यात्रा, आइए जानते है पूरी स्टोरी
नई दिल्ली. कई इंटरनेशनल टूर्नामेंटों में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली व्हीलचेयर भारतीय पैरा एथलीट सुवर्णा राज ने ट्रेन से यात्रा के दौरान बार-बार दर्दनाक अनुभवों से गुजरने के बाद जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की पेशकश की है. पोलियो के कारण 90 प्रतिशत दिव्यांगता से पीड़ित सुवर्णा को बुधवार को दिव्यांग कोटे के तहत टिकट आरक्षित करने के बाद भी नई दिल्ली से नागपुर की यात्रा करते समय 'साइड-अपर' बर्थ आवंटित किया गया था.
एशियाई खेलों (2018) में महिला भाला फेंक एफ 57 और गोला फेंक एफ 56/57 स्पर्धाओं में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली सुवर्णा को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद कई और परेशानियों का सामना करना पड़ा.
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि रेलवे में वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग लोगों के लिए बैटरी से चलने वाले ई-रिक्शा हैं. इसका तय किराया 120 रुपये है और यह प्लेटफॉर्म तक जाता है. ई-रिक्शा चालक ने 500 रुपये की मांग की और दुर्व्यवहार भी किया. ई रिक्शा चालक ने बुरे लहजे में कहा कि बैठना है तो बैठो, नहीं तो अपनी ट्रेन छोड़ दो. आखिर में 300 रुपये वसूले.
सुवर्णा का कहना है कि इससे पहले पुलिस ने उनकी टैक्सी भी रोकी और मुख्य प्लेटफॉर्म तक नहीं जाने दिया. जबकि दिव्यांग लोगों को रैंप (स्टेशन प्लेटफार्म) तक अपना वाहन ले जाने की अनुमति है, लेकिन उन्होंने इसकी अनुमति नहीं दी.सुवर्णा के साथ 2017 में भी ऐसा हो चुका है, जब 39 साल की इस खिलाड़ी को ट्रेन के फर्श पर सोकर यात्रा करनी पड़ी थी. उस समय भी उन्हें ऊपर की बर्थ दी गई थी, लेकिन रेलवे अधिकारी और सहयात्रियों ने नीचे की सीट देने से मना कर दिया था. उस समय तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मामले की जांच का आदेश दिया था.वो भारतीय क्रिकेटर, जिसने दुनिया को दिखाया- एक ही दिन में 2 शतक कैसे जड़ते हैं.
उन्होंने कहा कि उन्हें पिछले 2 दिनों से रेलवे से फोन आ रहे हैं. वे उन्हें अतार्किक स्पष्टीकरण दे रहे हैं. उनका कहना है कि वे उन पुलिसकर्मियों और ई-रिक्शा चालक को निलंबित कर रहे हैं. हालांकि इस खिलाड़ी ने ऐसा करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि जरूरत निलंबन की नहीं, उन्हें जागरूक करने की है. सुवर्णा ने बताया कि उन्होंने उनसे कहा कि वह जागरूकता के लिए कार्यक्रम आयोजित करेंगी. उन्हें इसके लिए चीजें तय करनी चाहिए, जिसमें एक दिन ई-रिक्शा चालकों के लिए, एक दिन कुलियों के लिए और एक दिन पुलिसकर्मियों का कार्यक्रम होना चाहिये.