बैंगलुरू (आईएएनएस)| पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर पांच साल का बैन लगाए जाने के बाद कर्नाटक कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर भी बैन लगना चाहिए। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्दारमैया ने कहा कि कांग्रेस असामाजिक गतिविधियों में शामिल किसी भी संगठन पर प्रतिबंध का विरोध नहीं करेगी। उन्होंने मांग की, आरएसएस असामाजिक गतिविधियों में शामिल है और इस संगठन पर भी बैन लगाया जाना चाहिए।
सिद्दारमैया ने कहा, आरएसएस समाज में अशांति पैदा करता है। नफरत की राजनीति में शामिल सभी संगठनों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएफआई पर प्रतिबंध कांग्रेस की मांग के बाद लगाया गया है।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की सिद्दारमैया की मांग पर पलटवार करते हुए कहा, जैसे बिल्ली हमेशा चूहों पर नजर रखती है, वैसे ही सिद्दारमैया आरएसएस को दोष देने के लिए मौके की तलाश में रहते हैं।
सीएम बोम्मई ने सवाल किया, कोई भी घटना हो, वो इसे आरएसएस से जोड़ देंगे। वो बिना आरएसएस का नाम लिए राजनीति कर ही नहीं सकते। क्या आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने का कोई आधार है?
सिद्दाारमैया ने पीएफआई कार्यकर्ताओं से मामले वापस ले लिए थे। क्या उन्हें और सबूत चाहिए? बोम्मई ने पूछा। क्या आरएसएस को उसकी देशभक्ति गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित किया जाना चाहिए? आरएसएस जरूरतमंद लोगों की सहायता करता है। वह इस देश की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने के लिए संघर्ष करता है। क्या उन्हें इनके लिए प्रतिबंधित किया जाना चाहिए?
बोम्मई ने कहा, आरएसएस एक देशभक्त संस्था है और यह इस देश में देशभक्ति की भावना को आत्मसात कर रहा है। इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करना बेमानी होगा।
कांग्रेस विधायक तनवीर सैत ने पीएफआई बैन को भाजपा का राजनीतिक हथकंडा करार दिया। सीएम बोम्मई ने इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तनवीर सैत पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है। उन्होंने खुद पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। अब, केवल राजनीतिक लाभ के लिए, वह अपने ऊपर हत्या के प्रयास को भूल गए हैं और कह रहे हैं कि यह राजनीति से प्रेरित है। सीएम बोम्मई ने कहा।
कर्नाटक के भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने कहा कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग बढ़ा चढ़ा कर की गई है। उन्होंने कहा, आरएसएस एक कारखाना है जिससे देशभक्त निकलते हैं। आरएसएस कभी भी हिंसा में लिप्त नहीं रहा और विस्फोटक, गोलियां एकत्र नहीं की।
इस बीच, कांग्रेस मीडिया प्रभारी और विधायक प्रियांक खड़गे ने भाजपा को फटकार लगाई कि प्रतिबंध लगाने का निर्णय बहुत देर से आया और यह खुफिया विभाग की विफलता थी।
कर्नाटक भाजपा इकाई ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस की खिंचाई करते हुए कहा, अपने कार्यकाल के दौरान, कांग्रेस पार्टी ने पीएफआई के खिलाफ दर्ज 175 मामलों को वापस क्यों लिया? कांग्रेस ने पीएफआई कार्यकर्ताओं के साथ हत्या के मामलों में शामिल होने के बावजूद सहानुभूति क्यों दिखाई? क्या आपके पास कोई जवाब है?
भाजपा ने प्रियांक खड़गे को फटकार लगाते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने 1,400 पीएफआई आतंकवादियों के मामले वापस ले लिए थे और वह तब भी कांग्रेस के विधायक थे। आप (प्रियांक खड़गे और कांग्रेस) आतंकवादी परिवार के वोट खोने के डर से चुप थे।