यूक्रेन वॉर से वापस भारत लौटे छात्रों का क्या होगा भविष्य, 18 हज़ार छात्रों भविष्य अधर में

Update: 2022-03-03 07:41 GMT

जनता से रिश्ता न्यूज़ अपडेट: यूक्रेन एमबीबीएस की पढ़ाई करने गए करीब 18 हज़ार छात्रों को अब रूसी सेना के आक्रमण के बाद भारत लाने की तैयारी चल रही है. ऑपरेशन गंगा के तहत अभी तक 1156 भारतीय लौट चुके हैं.हालांकि हजारों छात्र अभी भी यहां से आने का इंतजार कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि हाल ही में रूसी सेना की ओर से की जा रही बमबारी में यूनिवर्सिटी और इंस्‍टीट्यूशन भी निशाना बन रहे हैं, लिहाजा यूक्रेन की सभी मेडिकल यूनिवर्सिटीज में ऑफलाइन ही नहीं बल्कि ऑनलाइन पढ़ाई को भी 12 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है और छात्रों से अपने-अपने देश लौटने के लिए कहा गया है. लिहाजा छात्र ही नहीं, उनके परिजन भी जहां बच्‍चों के सुरक्षित वापस आने की दुआ कर रहे हैं वहीं पढ़ाई और भविष्‍य को लेकर भी आशंकित हैं. यूक्रेन में पैदा हुए इन हालातों के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर देश लौटने के बाद इन छात्रों की पढ़ाई का क्या होगा? छात्रों के डॉक्‍टर बनने का सपना पूरा हो पाएगा या नहीं. कई साल तक पढ़ाई करके आए छात्रों को एमबीबीएस की डिग्री मिल पाएगी या नहीं? हालांकि पढ़ाई को लेकर चिंतित इन छात्रों के भविष्‍य को लेकर न्‍यूज 18 हिंदी ने यूक्रेन से लौटे छात्रों के अलावा भारत में मेडिकल शिक्षा क्षेत्र से जुड़े जानकारों से बात की है.


21 फरवरी को यूक्रेन से लौटे इटावा निवासी अंशुल राठौर बताते हैं कि वे यूक्रेन की सुमि स्‍टेट यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के चौथे साल के दूसरे सेमेस्‍टर की पढ़ाई कर रहे हैं, जून में यह पूरा हो जाता लेकिन अचानक रूस की ओर से पैदा हुए इन हालातों के बाद कहा गया कि अपने घर चले जाओ, अब ऑनलाइन क्‍लासेज चलेंगी. कुछ दिन तक तो यह चला लेकिन अब तीन हफ्ते के लिए ऑनलाइन पढ़ाई भी बंद कर दी गई है. 12 मार्च तक यूक्रेन की सभी यूनिवर्सिटीज में ऑनलाइन पढ़ाई बंद है. आगे क्‍या होगा, कुछ नहीं पता. हालांकि यूनिवर्सिटी की ओर से कहा जा रहा है कि जल्‍दी ही सब सामान्‍य हो जाएगा और फिर से पढ़ाई शुरू होगी. जून 2022 में पूरी होने जा रही एमबीबीएस वाले फाइनल ईयर के छात्रों से तो ये कहा है कि उन्‍हें डिग्री दे दी जाएगी लेकिन बाकी छात्रों का क्‍या होगा, अभी कुछ नहीं कहा जा रहा है.

अंशुल कहते हैं कि पढ़ाई में चार साल लगाने के बाद अब चिंता तो बहुत है. डॉक्‍टर बनने का सपना लेकर गए थे. वहां ऐसा कुछ होगा, इसका अनुमान भी नहीं था. इस तरह चलता रहा तो ऑनलाइन पढ़ाई भी नहीं हो पाएगी और डिग्री मिलेगी या नहीं मिलेगी, कुछ नहीं पता. इस सुमि स्‍टेट यूनिवर्सिटी में ही करीब 3 हजार छात्र मेडिकल की पढ़ाई करते हैं.

पढ़ाई के साथ डॉक्‍यूमेंट्स की भी सता रही चिंता: यूक्रेन की इवानो फ्रेंकविस्‍क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हरिद्वार निवासी कन्‍हैया 1 मार्च को ही भारत लौटे हैं. बेहद जटिल हालातों में वहां से निकल कर आए कन्‍हैया कहते हैं कि यूक्रेन में हालात काफी खराब हैं. अभी भी वहां जो छात्र फंसे हुए हैं वे बहुत डरे हुए और मुसीबत में हैं. एमबीबीएस के दूसरे सेमेस्‍टर की पढ़ाई कर रहे कन्‍हैया बताते हैं कि वहीं पढ़ाई को लेकर अभी सिर्फ इतना ही मालूम चला है कि 12 मार्च तक यूनिवर्सिटी बंद है और ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी प्रकार की क्‍लोसज नहीं चल रहीं. आगे क्‍या होगा, पढ़ाई होगी या नहीं, ये तो वक्‍त ही बताएगा लेकिन एक और जो बड़ी चिंता है वह यह है कि इन यूनिवर्सिटीज में सभी छात्रों के ऑरिजिनल डॉक्‍यूमेंट जमा कराए जाते हैं. इनमें 12वीं मार्क्‍सशीट भी है. जैसा कि खबरों में देख रहे हैं कि रूसी सेना एयर स्‍ट्राइक कर रही है, बमबारी कर रही है और यूनिवर्सिटी भी इसका निशाना बन रही हैं. अगर विवि का मुख्‍य ऑफिस इसका निशाना बन जाता है तो डॉक्‍यूमेंट्स बचेंगे या नहीं इसे लेकर भी डर पैदा हो रहा है.


छात्रा तेजस्विता बोलीं, साल खराब होने का डर: 25 फरवरी को यूक्रेन की विनित्‍स्‍या नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से लौटी तेजस्विता बताती हैं कि वे एमबीबीएस के तीसरे साल के दूसरे सेमेस्‍टर की पढ़ाई कर रही हैं. भारत से मां के दवाब के चलते उन्‍होंने 22 फरवरी को यूक्रेन से आने के लिए फ्लाइट बुक कराई थी, इससे पहले उन्‍हें नहीं पता था कि यूक्रेन में हालात इतने खराब हो गए हैं. हालांकि उज्‍बेकिस्‍तान से होते हुए जब वे भारत पहुंच रही थीं तो उन्‍हें पता चला कि इसके बाद भारत की सभी फ्लाइटें कैंसल कर दी गईं. यह काफी डरा देने वाला था.

तेजस्विता कहती हैं, मैं वहां से बचकर तो आ गईं लेकिन अब पढ़ाई की चिंता हो रही है. यूक्रेन की सभी यूनिवर्सिटीज में एक नियम है कि एमबीबीएस के तीसरे साल में एक क्रॉक एग्‍जाम होता है जो सभी को क्‍वालिफाई करना ही होता है तभी आगे की कक्षा में जाया जा सकता है नहीं तो ईयर बैक लग जाती है. इस बार हमारी वह परीक्षा होनी थी लेकिन अब नहीं हो पाएगी. 22 तारीख को हमें 24 से यूनिवर्सिटी बंद होने का नोटिस मिला था, अभी पढ़ाई पूरी तरह बंद है. सभी छात्र भी आपस में बातचीत कर रहे हैं, प्रोफेसर्स से भी बात की जा रही है लेकिन भविष्‍य को लेकर कोई स्‍पष्‍ट बात सामने नहीं आ रही.


भारत में छात्रों को क्‍या मिल सकती है सुविधा, बता रहे विशेषज्ञ: नेशनल मेडिकल कमीशन के अंतर्गत अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड की अध्‍यक्ष डॉ. अरुणा वी वानिकर ने यूक्रेन से लौटे छात्रों के लिए भारत में आगे पढ़ाई की व्‍यवस्‍था को लेकर किसी भी टिप्‍पणी से इनकार किया है. हालांकि हाल ही में उन्‍होंने नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ इंडिया में प्रकाशित अपने लेख में बताया कि विदेशों से पढ़कर आने वाले मेडिकल छात्रों के लिए भारत में प्रैक्टिस करने का फिलहाल एक ही विकल्‍प है और वह है फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्‍जाम पास करना. वहीं इसमें भाग लेने के लिए विदेश में एमबीबीएस की डिग्री पूरी करना जरूरी है. ऐसे में यूक्रेन में जो भी हालात बन रहे हैं, छात्रों को अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई वहीं से पूरी करनी होगी. अभी तक के शैक्षिक नियमानुसार, अगर इनकी पढ़ाई बीच में छूटती है तो इन छात्रों के लिए भारत के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई पूरी करने का कोई विकल्‍प मौजूद नहीं है. हालांकि अच्‍छी बात है कि एनएमसी इन सब चीजों पर विचार कर रहा है और भविष्‍य में कुछ विकल्‍प सामने आ सकते हैं.

समय का हो सकता है नुकसान लेकिन जारी रह सकती है पढ़ाई: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च से जुड़े जाने-माने चिकित्‍सक बताते हैं कि यूक्रेन में मेडिकल हो चाहे अन्‍य विषयों की पढ़ाई हो, फिर वहां चाहे यूक्रेन के बच्‍चे पढ़ रहे हों, भारत या अन्‍य देशों के हों, सभी चीजें इस युद्ध पर निर्भर करेंगी. मसलन अगर रूस यूक्रेन पर कब्‍जा कर भी लेता है तो रूस वहां की शैक्षिक व्‍यवस्‍था को अपने हाथ में लेगा और दोबारा से सुचारू करेगा. जैसे ही ये यूनिवर्सिटीज खुलेंगी तो भारत के छात्रों को भी वहां जाकर फिर से पढ़ने का मौका मिलेगा. वहीं अगर कुछ दिन तक युद्ध की स्थिति रहती है तो इस दौरान छात्रों का समय का नुकसान हो सकता है लेकिन जैसे ही स्थितियां अनुकूल होंगी, फिर से इंस्‍टीट्यूशन शुरू होंगे. पूरे विश्‍व में एक परिस्थिति कोविड के दौरान भी देखी गई. इस दौरान क्‍लासेज बंद हो गईं और पूरा सिस्‍टम ऑनलाइन मोड पर आ गया. हालांकि चीजें फिर से ठीक हुई हैं. इसी तरह इस युद्ध के बाद भी चीजें बेहतर होने की संभावना जताई जा सकती है.

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