पीएम नरेंद्र मोदी का ये वीडियो खूब वायरल हो रहा

बताता अपनी सफलता का राज.

Update: 2024-03-08 11:54 GMT
नई दिल्ली: दिल्ली के भारत मंडपम में पीएम नरेंद्र मोदी ने आज देश भर के क्रिएटर्स को सम्मानित किया। नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड के दौरान मैथिली ठाकुर, जया किशोरी, आरजे रौनक जैसे चेहरे दिखे, जिन्हें पीएम मोदी ने सम्मान किया। यही नहीं इस दौरान पीएम मोदी काफी मजाकिया अंदाज में नजर आए। उन्होंने क्रिएटर्स से सीधा संवाद किया और कई लोगों से मजाक करते दिखाई दिए। एक स्लिम बॉडी वाले क्रिएटर से मजाक में उन्होंने कहा कि यहां कई ऐसे लोग भी हैं, जो वीडियो बनाते हैं कि क्या खाना चाहिए। उनकी इस बात का भाव समझकर लोग देर तक हंसते रहे।
यही नहीं इस दौरान पीएम मोदी ने अपनी सफलता पर भी बात की। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'मुझे कई बार लोग पूछते हैं कि आपकी सफलता का राज क्या है। मैं हर किसी को जवाब नहीं देता हूं। कोई रेस्तरां वाला अपना किचन दिखाता है क्या? लेकिन आपको मैं बता देता हूं। ईश्वर कृपा है कि मैं समय से पहले समय को भांप लेता हूं।' पीएम मोदी ने कहा कि आज यह जो अवॉर्ड दिया जा रहा है, वह आने वाले समय में प्रमुख स्थान लेने वाला है। यही मेरी शक्ति है कि मैं किसी भी चीज का समय रहते आकलन कर लेता हूं।
इसी कार्यक्रम में पीएम मोदी ने रणवीर इलाहाबादिया नाम के क्रिएटर से भी बात की और उन्हें सम्मानित किया। रणवीर आमतौर पर फिटनेस और लाइफस्टाइल को लेकर कॉन्टेंट बनाते हैं। पीएम मोदी ने उनसे पूछा कि आज आपका क्या संदेश है। उन्होंने कहा कि क्या आपने कभी नींद को लेकर कोई कार्यक्रम किया है। पीएम मोदी ने कहा, 'आज नींद की बहुत उपेक्षा हो रही है। पूरी दिनचर्या में पहला टाइम टेबल यह है कि पूरी नींद लेनी चाहिए। मैं इसका भुक्तभोगी हूं। मैं बहुत कम सोता हूं और लोग मुझे इसके लिए डांटते रहते हैं। मैं चाहता हूं कि लोग पूरी नींद लें। मैं यह नहीं कहता कि लोग सोते ही रहें। लेकिन सही से नींद लेना भी जरूरी है।'
वहीं मैथिली ठाकुर को सम्मानित करते हुए पीएम मोदी ने उनसे भगवान शिव का भजन सुनाने को कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप आज कुछ सुना ही दो क्योंकि लोग मुझे सुन-सुनकर थक जाते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि आज महाशिवरात्रि है और आज आप शिवजी का ही भजन सुनाइए। प्रधानमंत्री ने इस दौरान अपने बचपन का भी एक अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि मैं जब कई बार ट्रेन में जनरल क्लास में जाता था तो बहुत भीड़ होती थी। तब मैं किसी का हाथ पकड़कर देखना शुरू कर देता था। फिर लोग अकसर मेरे लिए सीट की व्यवस्था कर देते थे और कहते थे, आइए बैठिए।
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