बिना मुंडेर के कुएं जीवन के लिए खतरा, आए दिन होते हैं हादसे

Update: 2024-05-01 10:23 GMT
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जिले में बिना मुंडेर के कुएं लोगों और मवेशियों के लिए जान की आफत बने हुए है। बिना मुंडेर के कुओं में आए दिन कई वन्यजीव गिरते रहते है। वहीं दूसरी ओर बिना मुंडेर के कुओं में मनुष्यों के गिरने की भी दुर्घटनाएं होती है। ऐेसे में बिना मुंडेर के कुएं कई बार काल का ग्रास बन जाते है। गौरतलब है कि प्रतापगढ़ जिले में पहाड़ी इलाकों में अधिकांश कुओं की मुंडेर नहीं होती है। इसका कारण यह है कि इलाके में पथरीली जमीन होने से यहां कुओं में दीवार बनाने की आवश्यकता नहीं होती है। मैदानी इलाकों में जरूर दीवारें बनानी पड़ती है। ऐसे में बिना मुंडेर के कुओं में कइ्र बार वन्यजीव गिर जाते है। जो जानलेवा बन जाती है।

वहीं बच्चे और कई युवा भी इन कुओं में गिरने से घायल हो जाते है। जबकि कई बार बच्चे और लोग पानी के लिए जाते है, जो कुएं में गिरने से मौत तक हो जाती है। ऐसे में कुओं की मुंडेर बनाना आवश्यक होता है। जिससे दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक लक्ष्मणसिंह चिकलाड़ ने बताया कि कई इलाकों में कई दर्जनों कुएं खेतों व सडक़ों के किनारे बिना मुंडेर के कुएं है। इनमें रात के समय कई मवेशी व जंगली जानवर गिर जाने का अंदेशा बना रहता है। लोगों ने बताया कि कई बार ग्वाल बकरियां चराते है ऐसे में कभी भी हादसा हो सकता है। रात को वन्यजीव खेतों में भोजन की तलाश में निकलते है। इसी दौरान घास में कुएं के नजर नहीं आने के कारण इसमें गिर जाते है। कई बार इन कुओं में गिरने से इनकी मौत भी हो चुकी है। इनके साथ ही शिकार की तलाश में निकले वन्यजीव भी ऐसे कुओं में गिर कर दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं।
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