शाबाश! तेज तर्रार अफसर बहुत अच्छा किए...300 करोड़ की जमीन का चौंकाने वाला मामला
गड़बड़ी की आशंका हुई जिसकी वजह से भेद खुल गया।
नई दिल्ली: दिल्ली के पॉश इलाके चाणक्यपुरी में दशकों पहले एक जमीन मॉरिशियस हाई कमीशन को दी गई थी, मगर इसका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ। इसो अवैध रूप से एक व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत कर दिया गया। पिछले महीने वह शख्स नई दिल्ली के सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में इसकी रजिस्ट्री के लिए पहुंचा। वहां मौजूद तेज तर्रार अधिकारियों को इसमें गड़बड़ी की आशंका हुई जिसकी वजह से भेद खुल गया।
साधारण से कपड़े पहने एक बुजुर्ग व्यक्ति, जिसने अपना नाम तिलक सिंह बताया, पिछले महीने भूमि एवं विकास कार्यालय (एलएंडडीओ) से मिले एक कन्वेयंस डीड (हस्तांतरण पत्र) लेकर सब-रज्सिट्रार के ऑफिस पहुंचा। अधइकारी को उसके लेटर में कुछ गड़बड़ी का शक हुआ। उसने न तो अच्छे कपड़े पहने थे और न ही वह अधिकारियों द्वारा पूछे गए सवालों के सटीक जवाब दे पाया। 1,354.16 वर्ग गज में फैली इस जमीन की कीमत 200 करोड़ से 300 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है।
सोथबी इंटरनेशनल रियल्टी के अनुसार, लुटियंस बंगला जोन में इसी आकार की एक संपत्ति की मार्केट प्राइस 290 करोड़ रुपए है। सरकारी सूत्रों को शक है कि कन्वेयंस डीड को रजिस्टर करवाना जमीन बेचने और पैसा अपने पास रखने का पहला कदम हो सकता है। 29 अप्रैल की तारीख वाले इस डीड पर डिप्टी भूमि एवं विकास अधिकारी के हस्ताक्षर थे। सब-रजिस्ट्रार के अधिकारी ने 17 मई को इस अधिकारी को डीड के विवरण की पुष्टि करने के लिए लेटर लिखा, जो लीजहोल्ड संपत्ति के फ्रीहोल्ड में परिवर्तित होने का प्रमाण है। जिसमें बताया गया कि डीड के सभी पेज पर साइन और मुहर होनी चाहिए थी। उनमें से एक पेज पर ऐसा नहीं था।
डिप्टी भूमि एवं विकास अधिकारी ने 29 मई को पत्र का जवाब दिया, जिसमें पुष्टि की गई कि यह डीड असली है और इसे सब-रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्टर किया जाना चाहिए। यह डीड- संपत्ति संख्या 5, ब्लॉक 39, कौटिल्य मार्ग के लिए- रजिस्टर हो गई होती अगर एलएंडडीओ और सब-रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारियों को इसकी भनक नहीं लगती। अधिकारियों के अनुसार, न केवल डीड फर्जी थी, बल्कि अधिकारी द्वारा सत्यापन (वेरिफिकेशन) रिपोर्ट भी फर्जी थी। दरअसल, डीड जारी होने के समय वह अधिकारी जिसके साइन थे, डिप्टी एलएंडडीओ के रूप में काम नहीं कर रहा था। सूत्रों का कहना है कि आवेदक का असली नाम तिलक सिंह था या नहीं, यह भी पता नहीं है।
इसके बाद एलएंडडीओ ने 3 जून को दिल्ली के सभी सब-रजिस्ट्रारों को पत्र लिखकर कहा कि वे विभाग द्वारा जारी किए गए किसी भी कन्वेयंस डीड को उनसे अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए बिना रजिस्टर न करें। एलएंडडीओ ने सब-रजिस्ट्रारों को लिखे अपने नोट में साफ कहा कि 'एलएंडडीओ ने 29.04.2024 की तारीख वाला उक्त कन्वेयंस डीड जारी नहीं किया था और यह एक फर्जी दस्तावेज है। इसके अलावा, 29.04.2024 तक, (अधिकारी) उप भूमि एवं विकास अधिकारी के रूप में काम नहीं कर रहे थे। साथ ही, इस कार्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार, यह संपत्ति दिल्ली में मॉरीशियस हाई कमीशन के नाम पर है।'
इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि डीड फर्जी लग रही थी, लेकिन फर्जी सत्यापन रिपोर्ट निर्माण भवन से डाक के जरिए भेजी गई थी, जहां एलएंडडीओ का कार्यालय है। उन्होंने कहा कि कार्यालय के अंदर से किसी एक या एक से ज्यादा व्यक्ति की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। सूत्रों ने बताया कि फर्जी सत्यापन रिपोर्ट में सब-रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा एलएंडडीओ को भेजे गए पत्र पर लिखे गए पत्र में लेटर नंबर का सटीक उल्लेख किया गया था। एक सूत्र ने बताया कि यह संपत्ति 26 जून 1990 को मॉरीशियस हाई कमीशन को आवंटित की गई थी, लेकिन कमीशन जीसस एंड मैरी मार्ग स्थित दूसरी प्रॉपर्टी से काम कर रहा है।