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Update: 2022-04-20 14:30 GMT

दरभंगा: बिहार के दरभंगा जिले में सिविल कोर्ट ने सात महिलाओं को एक साथ सश्रम उम्रकैद और अर्थदंड की सजा सुनाई है. जमीन विवाद में 10 वर्षीय बच्ची की पीट-पीटकर हत्या करने के जुर्म में कोर्ट ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. इस हत्याकांड में एक भी पुरुष आरोपी नहीं थे, सात महिलाओं को ही बच्ची की हत्या का आरोपी बनाया गया था. ऐसे में मामले में सुनवाई करते हुए नवम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार सिंह की अदालत ने बुधवार सजा को सुनाई है.


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सातों ने घेरकर की थी बच्ची की पिटाई
बता दें कि हत्या के सभी अभियुक्तों के महिला होने के कारण अभियोजन पक्ष के संचालन का दायित्व महिला अपर लोक अभियोजक रेणु झा को सौंपा गया था. उन्होंने बताया कि 12 सितम्बर, 2009 को जिले के हायाघाट थाना क्षेत्र के छतौना गांव निवासी योगेंद्र यादव ने अपने गोतिया की (रिश्तेदार) सात महिलाओं के विरुद्ध बेटी की हत्या की प्राथमिकी (कांड संख्या 86/2009) इस थाने में दर्ज कराई थी. प्राथमिकी में अपनी दस वर्षीय बेटी राजबंती को घेर कर लात-मुक्का और लोहे से मारपीट कर जख्मी करने का आरोप लगाया था. मारपीट से बच्ची बेहोश हो गई थी, जिसे अस्पताल लेकर जाने पर डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया था.
इस मामले का सत्र वाद संख्या 436/10 के तहत विचारण प्रारंभ हुआ. अभियोजन पक्ष का सफल संचालन करते हुए अपर लोक अभियोजक रेणु झा ने हत्या के अभियुक्तों के विरुद्ध मुकदमा साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष से दस गवाहों की गवाही कराई. वहीं, बचाव पक्ष ने इस मामले में नौ गवाहों की गवाही कराई
पहले कभी नहीं सुनाई गई ऐसी सजा
अपर लोक अभियोजक झा के तर्क पूर्ण जिरह और बहस बाद न्यायाधीश ने दस वर्षीय बच्ची की निर्मम तरीके से हत्या मामले में छतौना गांव निवासी बुच्ची देवी, मुनर देवी, मनभोगिया देवी, सीता देवी, इंदु देवी, चधुरन देवी और भुखली देवी को दफा 302 (हत्या) में आजीवन सश्रम कारावास की सजा और दस हजार रुपये अर्थदंड और दफा 147 भा. द. वि. में एक साल की कारावास की सजा सुनाई है. गौरतलब है कि दरभंगा व्यवहार न्यायालय में एक साथ सात महिलाओं को आजीवन सश्रम कारावास की सजा इसके पूर्व कभी भी नहीं दी गई है.
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